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________________ ९७ जीवाजीव अध्ययन ५. जीवाजीवऽज्झयणं ५. जीव-अजीव अध्ययन मृत्र मृत्र १. समयाईणं जीवाजीवरूव परूवणं १. समयादिकों का जीव-अजीवरूप प्ररूपण१. समयाइ वा आवलियाइ वा, जीवाइ या अजीवाइ या १. समय और आवलिका, ये जीव और अजीव कहे जाते हैं। पवुच्चइ। २. आणापाणइ वा, थोवेइ वा, जीवाइ या अजीवाइ या २. आनप्राण और स्तोक, ये जीव और अजीव कहे जाते हैं। पवुच्चइ। ३. खणाइवा, लवाइवा, जीवाइ या अजीवाइ या पवुच्चइ। ३. क्षण और लव, ये जीव और अजीव कहे जाते हैं। ४. एवं-मुहुत्ताई वा,अहोरत्ताइवा, ४. इसी प्रकार-मुहूर्त और अहोरात्र, ५. पक्खाइ वा,मासाइवा, ५. पक्ष और मास, ६. उडूइवा, अयणाइवा, ६. ऋतु और अयन, ७. संवच्छराइ वा,जुगाइवा, ७. संवत्सर और युग, ८. वाससयाइवा,वाससहस्साइवा, ८. सौ वर्ष और हजार वर्ष, ९. वाससयसहस्साइ वा, वासकोडीइ वा, ९. लाख वर्ष और करोड़ वर्ष, .१०. पुव्वंगाइ वा, पुव्वाइवा, १०. पूर्वांग और पूर्व, ११. तुडियंगाइवा, तुडियाइवा, ११. त्रुटितांग और त्रुटित, १२. अडडंगाइवा, अडडाइवा, १२. अटटांग और अटट, १३. अववंगाइ वा, अववाइवा, . १३. अववांग और अवव, १४. हूहूअंगाइ वा, हूहूयाइवा, । १४. हूहूकांग और हूहूक, १५. उप्पलंगाइ वा, उप्पलाइवा, १५. उत्पलांग और उत्पल, १६. पउमंगाइ वा, पउमाइ वा, १६. पद्मांग और पद्म, १७. णलिणंगाइवा,णलिणाइवा, १७. नलिनांग और नलिन, १८. अत्थणिकुरंगाइ वा, अत्थणिकुराइ वा, १८. अर्थनिकुरांग और अर्थनिकुर, १९. अउअंगाइवा,अउआइवा, १९. अयुतांग और अयुत, २०. णउअंगाइवा,णउआइवा, २०. नयुतांग और नयुत, २१. पउयंगाइ वा, पउयाइ वा, २१. प्रयुतांग और प्रयुत, २२. चूलियंगाइ वा, चूलियाइ वा, २२. चूलिकांग और चूलिका, २३. सीसपहेलियंगाइवा,सीसपहेलियाइवा, २३. शीर्षप्रहेलिकांग और शीर्षप्रहेलिका, २४. पलिओवमाइ वा,सागरोवमाइवा, २४. पल्योपम और सागरोपम, २५. उस्सप्पिणीइ वा, ओसप्पिणी वा, जीवाइ या अजीवाइ या २५. अवसर्पिणी और उत्सर्पिणी, ये सभी जीव और अजीव कहे पवुच्चइ। -ठाणं अ. २, उ. ४, सु. १०६(१) जाते हैं। २. गामाईयाणं जीवाजीवरूव परूवणं २. ग्रामादिकों का जीव-अजीव रूप प्ररूपण१. गामाइ वा, णगराइ वा, जीवाइ या अजीवाइ या . १. ग्राम और नगर, ये जीव और अजीव कहे जाते हैं। पवुच्चइ। २. एवं णिगमाइ वा, रायहाणीइ वा, २. इसी प्रकार निगम और राजधानी, खेडाइ वा, कब्बडाइवा, ३. खेट और कर्बट, ४. मडंबाइ वा, दोणमुहाइवा, ४. मडंब और द्रोणमुख, ५. पट्टणाइवा, आगराइवा, ५. पत्तन और आकर, ६. आसमाइवा,संबाहाइवा, ६. आश्रम और संवाह, ७. सण्णिवेसाइवा, घोसाइवा, ७. सन्निवेश और घोष,
SR No.090158
Book TitleDravyanuyoga Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj & Others
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1994
Total Pages910
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Metaphysics, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size32 MB
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