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________________ परिणाम अध्ययन प. ६.उवओगपरिणामे णं भंते ! कइविहे पण्णत्ते? उ. गोयमा ! दुविहे पण्णत्ते,तं जहा १. सागारोवओगपरिणामे, २. अणागारोवओगपरिणामे। प. ७.क. णाणपरिणामे णं भंते ! कइविहे पण्णत्ते? उ. गोयमा ! पंचविहे पण्णत्ते,तं जहा १. आभिणिबोहियणाणपरिणामे, २. सुयणाणपरिणामे, ३. ओहिणाणपरिणामे, ४. मणपज्जवणाणपरिणामे, ५. केवलणाणपरिणाम। प. ७.ख.अण्णाणपरिणामे णं भंते ! कइविहे पण्णत्ते? उ. गोयमा ! तिविहे पण्णत्ते,तं जहा १. मइअण्णाणपरिणामे, २. सुयअण्णाणपरिणामे, ३. विभंगणाणपरिणामे। प. ८.दसणपरिणामे णं भंते ! कइविहे पण्णत्ते? उ. गोयमा ! तिविहे पण्णत्ते,तं जहा १. सम्मसणपरिणामे, २. मिच्छादसणपरिणामे, ३. सम्मामिच्छादसणपरिणामे। प. ९.चरित्तपरिणामे णं भंते ! कइविहे पण्णत्ते? उ. गोयमा ! पंचविहे पण्णत्ते,तं जहा १. सामाइयचरित्तपरिणामे, २. छेदोवठ्ठावणियचरित्तपरिणामे, ३. परिहारविसुद्धियचरित्तपरिणामे, ४. सुहुमसंपरायचरित्तपरिणामे, ५. अहक्खायचरित्तपरिणामे। प. १०. वेयपरिणामे णं भंते ! कइविहे पण्णत्ते? उ. गोयमा ! तिविहे पण्णत्ते,तं जहा १. इत्थिवेयपरिणामे, २. पुरिसवेयपरिणामे, ३. णपुंसगवेयपरिणामे। -पण्ण.प.१३,सु. ९२६-९३७ - ९१ ) प्र. ६. भंते ! उपयोगपरिणाम कितने प्रकार का कहा गया है? उ. गौतम !(उपयोगपरिणाम) दो प्रकार का कहा है, यथा १. साकारोपयोगपरिणाम, २. अनाकारोपयोगपरिणाम। प्र. ७. क. भंते ! ज्ञानपरिणाम कितने प्रकार का कहा गया है? उ. गौतम ! (ज्ञानपरिणाम) पांच प्रकार का कहा गया है यथा १. आभिनिबोधिकज्ञानपरिणा, २. श्रुतज्ञानपरिणाम, ३. अवधिज्ञानपरिणाम, ४. मनःपर्यवज्ञानपरिणाम, ५. केवलज्ञानपरिणाम। प्र. ७.ख. भंते ! अज्ञानपरिणाम कितने प्रकार का कहा गया है ? उ. गौतम !(अज्ञानपरिणाम) तीन प्रकार का कहा गया है, यथा १. मति-अज्ञानपरिणाम, २. श्रुत-अज्ञानपरिणाम, ३. विभंगज्ञानपरिणाम। प्र. ८. भंते ! दर्शनपरिणाम कितने प्रकार का कहा गया है? उ. गौतम ! (दर्शनपरिणाम) तीन प्रकार का कहा गया है, यथा १. सम्यग्दर्शनपरिणाम, २. मिथ्यादर्शनपरिणाम, ३. सम्यग्मिथ्यादर्शनपरिणाम। प्र. ९. भंते ! चारित्रपरिणाम कितने प्रकार का कहा गया है? उ. गौतम ! (चारित्रपरिणाम) पांच प्रकार का कहा गया है, यथा १. सामायिकचारित्रपरिणाम, २. छेदोपस्थापनीयचारित्रपरिणाम, . ३. परिहारविशुद्धिचारित्रपरिणाम, ४. सूक्ष्मसम्परायचारित्रपरिणाम, ५. यथाख्यातचारित्रपरिणाम। प्र. १०. भंते ! वेदपरिणाम कितने प्रकार का कहा गया है? उ. गौतम ! (वेदपरिणाम) तीन प्रकार का कहा गया है, यथा १. स्त्रीवेदपरिणाम, २. पुरुषवेदपरिणाम, ३. नपुंसकवेदपरिणाम। [गति आदि) (१० जीव) परिणामों के अवान्तर भेद कुल ३. चउवीसदंडएसुजीव परिणाम भेय परूवणंदं.१. १.नेरइया-गइपरिणामेणं निरयगइया, २. इंदियपरिणामेणं-पंचेंदिया, ३. कसायपरिणामेणं-कोहकसाई विजाव लोभकसाई वि, ४. लेस्सापरिणामेणं कण्हलेस्सा वि, नीललेस्सा वि, काउलेस्सा वि, ५. जोगपरिणामेणं-मणजोगी वि, वइजोगी वि, कायजोगी वि, ६. उवओगपरिणामेणं-सागारोवउत्ता वि, अणागारोवउत्ता ३. चौबीस दंडकों में जीव परिणाम के भेदों का प्ररूपणदं.१, १.नैरयिक जीव गति-परिणाम से नरकगति वाले हैं, २. इन्द्रियपरिणाम से पंचेन्द्रिय हैं, ३. कषाय-परिणाम से क्रोधकषायी यावत् लोभकषायी हैं, ४. लेश्या-परिणाम से कृष्णलेश्यी, नीललेश्यी और कापोतलेश्यी हैं, ५. योग-परिणाम से मनोयोगी, वचनयोगी और काययोगी हैं, ६. उपयोग-परिणाम से साकारोपयुक्त और अनाकारोपयुक्त हैं। वि,
SR No.090158
Book TitleDravyanuyoga Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj & Others
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1994
Total Pages910
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Metaphysics, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size32 MB
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