SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 17
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ जैन दर्शन के सुप्रसिद्ध विद्वान् डॉ. सागरमल जी जैन ने प्रस्तावना लिखने की स्वीकृति दी तथा महत्त्वपूर्ण प्रस्तावना दे रहे हैं उनका आभार मानना मेरा कर्तव्य है। पांडुलिपि तैयार करने में राजेश भंडारी, श्री मांगीलाल जी शर्मा तथा सुनील मेहता ने अच्छा सहयोग दिया है। ग्रंथ की पांडुलिपि तैयार करने पर मुद्रण विषय में भी अनेक कठिनाइयाँ आई। - इतने महत्त्वपूर्ण विशाल ग्रंथ का मुद्रण भी सुन्दर, शुद्ध और हमारी दृष्टि के अनुरूप हो तभी उपयोगी हो सकता है। अतः इस कार्य के लिये मुद्रण कला विशेषज्ञ जैन साहित्य के विद्वान् श्रीचन्द जी सुराना 'सरस' का सहयोग प्राप्त किया गया। उन्होंने न केवल मुद्रण दृष्टि से अपितु सम्पादन दृष्टि से भी ग्रन्थ को अधिकाधिक उपयोगी व सुन्दर, शुद्ध बनाने का प्रयास किया है। अनुयोग के विशाल कार्य को सम्पन्न कराने में श्रमण सूर्य प्रवर्तक श्री मरुधर केसरी जी म., स्व. युवाचार्य श्री मधुकर मुनि जी म. की प्रेरणा एवं आशीर्वाद व आचार्यप्रवर श्री देवेन्द्र मुनि जी म. तथा प्रवर्तक श्री रूपचन्द जी म. का भी समय-समय पर उपयोगी सुझाव प्राप्त होता रहा है। ___ जब-जब अनुयोग कार्य सम्पादन में कठिनाइयाँ आतीं, तब-तब धैर्यपूर्वक कार्य करते रहने की प्रेरणा देने वाले श्री ताराचन्द जी प्रताप जी, श्री वृद्धिचन्द जी मेघराज जी, श्री कुन्दनमल जी मूलचन्द जी, श्री हिम्मतमल जी प्रेमचन्द जी, श्री केशरीमल जी शेषमल जी चोवटिया आदि साकरिया परिवार (साण्डेराव) व श्री चम्पालाल जी चोरड़िया मदनगंज का स्मरण करना भी मेरा कर्तव्य है जिनके प्रोत्साहन से यह कार्य पूर्ण हो सका। आगम अनुयोग ट्रस्ट के उदारमना श्री बलदेवभाई, हिम्मतभाई, नवनीतभाई, विजयराज जी आदि ट्रस्टीगण तथा अन्य धर्मप्रेमी, ज्ञान-प्रसार में रुचि रखने वाले सद्गृहस्थों ने प्रत्यक्ष-परोक्ष रूप में जो सहयोग प्रदान किया है, मैं उन सभी के प्रति हार्दिक भाव से कृतज्ञता व्यक्त करता हूँ और साथ ही यह अन्तर कामना करता हूँ कि जिनवाणी रूप ज्ञान-गंगा का यह अमृत-प्रवाह जन-मन को आत्मिक तृप्ति और शान्ति प्रदान करे। -उपाध्याय मुनि कन्हैयालाल 'कमल' जैन स्थानक, हरमाड़ा जि. अजमेर (राज.) दि. २६ जनवरी ९४ (१४)
SR No.090158
Book TitleDravyanuyoga Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj & Others
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1994
Total Pages910
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Metaphysics, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size32 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy