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________________ सूत्र ७१३ ७४३ विषय पृष्ठांक विषय . पृष्ठांक १०. उपयोग द्वार, ७०८-७०९ १४६. आनुपूर्वी उपक्रम के भेदों का स्वरूप, ७३०-७३१ ११.योग द्वार, ७०९ १४७. अर्थपद प्ररूपणा, ७३१ १२. लेश्या द्वार, ७०९ १४८. भंगों का उच्चारण, ७३१-७३२ १३. कषाय द्वार, ७१० १४९. भंगों का संकेत करना, ७३२-७३४ १४. वेद द्वार, ७१० १५०. समवतार, ७३४ १५. आहार द्वार, ७१० १५१. अनुगम के भेद, ७३४-७३६ १६. विषय द्वार, ७१०-७१२ १५२. संग्रहनयसम्मत अनौपनिधिकी आनपूर्वी, ७३६-७३८ १७. संचिट्ठणा काल द्वार, १५३. संग्रहनयसम्मत अनुगम के भेदों की १८. अन्तर द्वार, ७१३-७१४ वक्तव्यता, ७१४-७१५ १९. अल्पबहुत्व द्वार, ७३८-७३९ २०. पर्याय द्वार और पर्यायों का अल्पबहुत्व, ७१५-७१६ १५४. औपनिधिकी द्रव्यानुपूर्वी, ७३९-७४० १२१. भावितात्मा मिथ्यादृष्टि अनगार का जानना १५५. क्षेत्रानुपूर्वी, ७४० देखना, ७१६-७१७ १५६. नैगम-व्यवहारनयसम्मत अनौपनिधिकी १२२. भावितात्मा सम्यग्दृष्टि अनगार का जानना क्षेत्रानुपूर्वी, ७४०-७४३ देखना, ७१७-७१८ १५७. संग्रहनयसम्मत क्षेत्रानुपूर्वी की प्ररूपणा, १२३. भावितात्मा अणगार द्वारा वैक्रिय समदघात भावानुपूर्वी, ७४३ से समवहत देवादि का जानना देखना, ७१८-७१९ १५८. उपक्रम अनुयोग में "नाम" द्वार के १२४. भावितात्मा अनगार द्वारा वृक्ष के अन्दर और भेद-प्रभेद, ७४३-७४४ बाहर देखने का प्ररूपण, ७१९१५९. त्रिनाम की विवक्षा से शब्दों के स्त्रीलिंग १२५. भावितात्मा अनगार द्वारा मूलादि देखने का आदि सूचक प्रत्यय, ७४४-७४५ प्ररूपण, ७१९-७२० १६०. चतुर्नाम की विवक्षा से आगम, लोप आदि १२६. छद्मस्थादि द्वारा परमाणु पुद्गलादि का द्वारा शब्द निष्पत्ति, ७४५ जानना-देखना, ७२०-७२१ १६१. पाँच नाम की विवक्षा से औपसर्गिक आदि नाम, ७४५ १२७. निर्जरा पुद्गलों का जानने-देखने का प्ररूपण, ७२१ २२. षड्नाम की विवक्षा से उदयादि छह भावों १२८. चौबीसदंडकों में आहार पुद्गलों को जानने का विस्तार से प्ररूपण, देखने और आहार करने का प्ररूपण, ७२१-७२२ १. औदयिक भाव, ७४६ १२९. प्रश्न के छह प्रकार, ७२२-७२३ २. औपशमिक भाव, ७४६-७४७ १३०. विवक्षा से हेतु-अहेतु के भेदों का प्ररूपण, ७२३ ३. क्षायिक भाव, ७४७-७४८ १३१. प्रकारान्तर से हेतु के भेदों का प्ररूपण, ७२३-७२४ ४. क्षायोपशमिक भाव, ७४८ १३२. दस प्रकार के वाद-दोषों का प्ररूपण, ७२४ ५. पारिणामिक भाव, ७४८-७४९ १३३. वाद के विशिष्ट दोषों का प्ररूपण, ७२४ ६. सान्निपातिक भाव, ७४९-७५३ १३४. दस प्रकार के शुद्ध वचानानुयोग का प्ररूपण, ७२४-७२५ १६३. सप्त नाम की विवक्षा से स्वर मंडल का १३५. श्रोताजनों के प्रकार, विस्तारपूर्वक प्ररूपण, ७५३-७५६ १३६. श्रोताजनों की परिषद् के प्रकार, ७२५ १६४. अष्ट नाम विवक्षा से आठ वचन विभक्ति, १३७. चक्षुष्मानों के प्रकार, ७२५-७२६ १६५. नव नाम की विवक्षा से नौ काव्य रसों का १३८. ज्ञात (उदाहरण) के भेद-प्रभेदों का प्ररूपण, ७२६ प्ररूपण, ७५७-७५९ १३९. काव्य के प्रकार, ७२६ १६६. दस नाम की विवक्षा से गुण निष्पन्न आदि १४०. वाद्य-नृत्य-गीत-अभिनय के चतुर्विधत्व का नाम, ७५९-७६१ प्ररूपण, ७२७ १६७. संयोग निष्पन्न नाम, ७६१-७६२ १४१. माला और अलंकारों के चतुर्विधत्व का प्ररूपण, ७२७ १६८. प्रशस्त-अप्रशस्त नाम, ७६२ १६९. प्रमाण नाम के भेद-प्रभेद, ७६३ ज्ञान अध्ययन का अनुयोग प्रकरण १. नाम प्रमाण, १४२. आवश्यक के अनुयोग की प्रतिज्ञा, ७२७-७२८ २. स्थापना प्रमाण १४३. आवश्यक आदि पद के निक्षेप की प्रतिज्ञा, ७२८ नक्षत्र और देव नाम स्थापना, १४४. सामायिक अध्ययन का अनुयोग, ७२८ कुल आदि नाम स्थापना, ७६३-७६४ १. उपक्रम के नामादि छह भेदों का स्वरूप, ७२९-७३० ३. द्रव्य प्रमाण, ७६४ १४५. उपक्रम के आनुपूर्वी आदि छह भेद, ७३० ४. भाव प्रमाण के भेद, । ७६४ ७४६ ७२५ ७५७ ७६३ ७६३ ७६३
SR No.090158
Book TitleDravyanuyoga Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj & Others
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1994
Total Pages910
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Metaphysics, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size32 MB
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