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________________ ७२४] धरणानुयोग विभिन्न स्थानों में मल-मूत्रादि के परठने का निषेध लावयफरणाणि वा. सट्टयकरणाणि वा, तित्तिरकरणाणि वा, कपिजल आदि के आश्रय स्थान हों, अथवा अन्य भी इसी प्रकार कबोतकरणाणि वा, कपिलनकरणाणि वा. अण्णतरसि वा के स्थान हों तो वहां चल-मूत्र विसर्जन न करें। तहप्पगारंसि पंडिल सि को उस्चार-पासवणं वोसिरेज्जा। से मिक्सू वा भिक्खूणो वा से जं पुण यंडिलं जाणेन्जा-बेहा. भिक्षु या भिक्षुणी यदि ऐन स्थाण्डिल को जाने, जहाँ फाँसी णसट्टाणेमुवा, गिद्धपिट्ठाणेसु वा, तरूपवणटाणेसु वा मेरुपड- पर लटकाने के रथान हों, गिों का कलेवर खाने का स्थान हो, गट्टाणेसु वा, विसभक्षणाणेसु वा, अगणिफंदणाणेसु बा, वृक्ष पर से गिरकर मरने का ग्थान हो, पर्वत से झंगापात करके अण्णतरसि वा तहप्पगारंसि थंडिल सि णो उच्चार-पासवर्ण भरने के स्थान हो, विषभक्षण करके भरने के स्थान हों, या वोसिरेज्जा। आग में गिरने के स्थान हों, अथवा अन्य इस प्रकार के स्थान हों वहाँ पर मल-मूत्र त्याग न करें। से भिक्खू वा भिक्खूणी वा से जं पुष थंडिलं जायजा- भिक्षु या भिक्षुणी यदि ऐसे स्थण्डिल को जाने, जैसे किआरामाणि वा, उज्जाणाणि वा, वणाणि वा, वरसंडागि बगीचा (उपवन), उद्यान, बग, वनखण्ड, देवकुल, नभा, प्याऊ पा, देय मुलागि पा, सला पाया, जण एसि हो अथवा अन्य भी इा प्रकार के (कोई पवित्र या रमणीय) मा तहप्पगारंसि यडिलं सि णो उच्चार-पासवणं बोसिरेज्जा। स्पान हों तो यहां मल-मूत्र विसर्जन न करे। से भिक्खू वा भिक्खूणी खा से जं पुण यंडिलं जाणेजा - भिक्ष या भिक्षुणी यदि ऐसे स्थण्डित को जाने, जैसे किअट्टालयाणि वाचरियाणि वा, वाराणि वा, गोपुराणि वा, कोट को अटारी हो, किले और नगर के बीच के मार्ग हो, चार अण्णतरसि वा तहप्पगारंसि ५डिलसि णो उच्चार-पासवणं हों, नगर के मुख्य द्वार हों अथवा अन्य भी इस प्रकार के स्थल वोसिरेज्जा। हों तो वहाँ मल-मूत्र विसर्जन न करे। से भिक्खू वा भिक्खूणी वा से जं पुण थंडिलं जाणेजा- भिक्षु या भक्षुशी यदि ऐसे स्थण्डिल को जाने कि जहाँ तिमाणि वा, चउक्कागि वा, चच्चराणि बा, चजमुहाणि बा, तीन मार्ग मिलते हो, चार मार्ग मिलते हों, अनेक मार्ग मिलते अषणतरंसि या तहप्पगारंसि डिलंसि णो उच्चार-पासवणं हो, चतुर्मुख स्थान हों, अथवा अन्य भी इस प्रकार के स्थान हो वोसिरेज्जा। वहाँ मल मूत्र विसर्जन न करे । से भिक्खू वा भिक्खूणी या से जं पुण यंडिलं जाणेजा- भिक्षु या भिक्षुगी ऐसे स्थण्डिल को जाने कि जहाँ लकड़ियाँ इंगालकाहेसु बा, लारजाहेसुवा, मयबाहेसु वा, मडपथभि- जलाकर कोवले बनाये जाते हैं, साजी बार आदि तैयार किये यासु शश, मध्यप्रेतिएम वा, अग्णतरंसि वा तहप्पगारंसि जाते हैं. मुर्दै जलाने के स्थान है, मृतक के स्तूप हैं, मृतक के पंडिलंसि जो उस्चार-पासवणं बोसिरेज्जा । चंत्य हैं, उथवा अन्य भी इस प्रकार के कोई स्थण्डिल हों तो __ वहाँ पर मल-मूत्र विसर्जन में करे । से भिक्खू या मिक्खूणी वा से जं पुण थंडिल जाणेज्जा- भिक्षु या भिक्षुणी यदि ऐसे स्थण्डिल को जाने कि जो नदी पविआयतणेमुवा, पंकायतणेसु वा, ओघायतणेसुबा, सेयण- के तट पर बने स्थान हैं, पंकबहुल आयतन हैं, जल प्रवाह के पहंसि वा, अण्णतरंसि वा तहप्पगारंसि यंडिलंसि णो स्थान हैं, जल ले जाने के मार्ग हैं, अथवा अन्य भी इस प्रकार उच्चार-पासषणं योसिरेग्जा। के जो स्थण्डिल हो, वहाँ मल-मूत्र विसर्जन न करे। से भिक्खू पा भिक्खूणो वा से जं पुण डिलं जाणेजा- भिक्षु या भिक्षुणी यदि ऐस स्थण्डिल को जाने कि मिट्टी णवियासु वा मट्टियखाणिया, गवियासु वा, गोलेहणियासु, की नई खान हैं, नई हल चलाई भूमे है, गायो के चरने की गवायणीसुवा, खाणीसु वा. अण्णतरंसि वा तहप्पगारंसि भूमि है, अम्प खाने हैं. अथवा अन्य इस प्रकार की कोई स्थण्डिल पंडिलंसि गो उच्चार-पासवणं योसिरेज्जा। हो तो वहाँ मल-मूत्र विसर्जन न परे । से भिक्खू या भिक्खूणी वा से जं पुण पंडिलं जाणेम्जा- भिक्षु या भिक्षुणी यदि ऐसे स्थगिडल को जाने, जहाँ डालडागवन्वसि वा, सागवति वा, मूलगवच्चं सि या, हत्प- प्रधान शाक के सेत है, पत्र-प्रधान शाक के खेत हैं मूली गाजर कुरवचसि या, अण्णवरंसि वा तहापणारंसि पंडिलसि गो के खेत हैं, हस्नंकुर वनस्पति विशेष के खेत है, अभवा अन्य भी उच्चार-पासवणं शेसिरेग्जा। उस प्रकार के स्थल . तो नही पर मल-मूत्र विसर्जन ना करे। से भिक्खू वा भिक्यूगो वा से जं पुण थंडिल जाणेना- भिक्षु मा भिक्षुणी यदि ऐसे स्थण्डिल को जाने, जहां बीजक असणवणंसि वा, सणनगंसि वा, धायइवणसि वा, केयई- वृक्ष का वन है; एटमन का दन है, धातक (आवला) वृक्ष का
SR No.090119
Book TitleCharananuyoga Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year
Total Pages782
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Conduct, Agam, Canon, H000, H010, & agam_related_other_literature
File Size23 MB
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