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सम्पादकीय
-मुनिश्री कन्हैयालाल 'कमल'
"चरण" प्रवृत्ति एवं पूरुषार्थ का प्रतीक है। "चरण" २-धर्मकथानुयोग-उपदेशप्रद कथा एवं दृष्टान्त में मर्यादा एवं सम्यक विवेक का योग होने पर वह आचरण सम्बन्धी आगम (आङ --मर्यादा) कहलाता है । आचरण अर्थात् 3-गणितानुयोग-चन्द्र-सूर्य-अन्तरिक्ष विज्ञान तथा आचार-धर्म ।
भू ज्ञान के गणित विषयक आगम चरणानुयोग का अर्थ होता है आचार धर्म सम्बन्धी
४-द्रव्यानुयोग-जीव, अजीव आदि नब तत्वों की नियमावली, मर्यादा आदि की व्याख्या एवं संग्रह।
व्याख्या करने वाले आगम । प्रस्तुत चरणानुयोग ग्रन्थ अपनी इसी अभिधा में .
| अभिधा में अनुयोग वर्गीकरण के लाभ सार्थक है।
यद्यपि अनुयोग वर्गीकरण पद्धति आगमों के उत्तरजैन साहित्य में "अनुयोग" के दो रूप मिलते हैं।
कालीन चिन्तक आचार्यों की देन है, किन्तु यह आगम १. अनुयोग-व्याख्या
पाठी, थ ताभ्यासी मुमुक्षु के लिए बहुत उपयोगी है। २. अनुयोग वर्गीकरण
आज के युग में तो इस पद्धति की अत्यधिक उपयोकिसी भी पद आदि की व्याख्या करने, उसका हार्द गिता है। समझने समझाने के लिये १. उपक्रम, २. निक्षेप, ३. अनुगमविणाल आगम साहित्य का अध्ययन कर पाना और ४. नय-इन चार शैलियों का आश्रय लिया जाता है।
सामान्य व्यक्ति के लिये बहुत कटिन है। इसलिए जब अनुयोजनमनुयोग:-(अणुजोअणमणुओगो) सूत्र का अर्थ जिस विषय का अनुसन्धान करना हो, तब तविषयक के साथ सम्बन्ध जोड़कर उसकी उपयुक्त व्याख्या करना
आगम पाठ का अनुशीलन करके जिज्ञासा का समाधान इसका नाम है-अनुयोग व्याख्या (जम्बू० वृत्ति)
करना-यह तभी सम्भव है, जब अनुयोग पद्धति से अनुयोग-वर्गीकरण का अर्थ है-अभिधेय (विषय) की सम्पादित आगमों का शुद्ध संस्करण उपलब्ध हो। दृष्टि से शास्त्रों का वर्गीकरण करना। जैसे अमुक-अमुक
अनुयोग पद्धति से आगमों का स्वाध्याय करने पर आगम,अमुक अध्ययन, अमुक गाथा-अमुक विषय की है।
. अनेक जटिल विषय स्वयं समाहित हो जाते हैं, जैसेइस प्रकार विषय-वस्तु की दृष्टि से वर्गीकरण करके आगमों
१. आगमों को किस प्रकार विस्तार हुया है यह का गम्भीर अर्थ समझने की शैली-अनुयोग वर्गीकरण पद्धति है।
स्पष्ट हो जाता है।
२. कौन-सा पाठ आगम संकलन काल के पश्चात् प्राचीन आचार्यों ने आगमों के गम्भीर अर्थ को सर- प्रविष्ट हआ है? लता पूर्वक समझाने के लिये आगमों का चार अनुयोगों . आगम पाठों में आगम लेखन से पूर्व तथा पश्चात् में वर्गीकरण किया है।
वाचना भेद के कारण तथा देश-काल के व्यवधान के १-चरणानुयोग-आचार सम्बन्धी आगम कारण लिपिक काल में क्या अन्तर पड़ा है?