SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 17
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ari विषय सूत्रक पृष्ठांक विषय नांक पृष्ठांक मैथुन सेवन के संकल्प से परस्पर नखानों के (४) मथुनेच्छा से उपकरण धारणादि के प्रायश्चित्त परिकर्म का प्रायश्चित्त सूत्र ६०६ ४०८ मैथुन सेवन के संकल्प से वस्त्र धारण करने के मैथुन के संकल्प से परस्पर जवादि परिकों प्रायश्चित्त सूत्र के प्रायश्चित्त सूत्र विभूषा हेतु उपकरण धारण प्रायश्चित्त सूत्र ६२८४२० मैथुन सेवन के संकल्प से ओष्ठ परिकम के विभूषा हेतु उपकरण प्रक्षालन प्रायश्चित्त सूत्र ६२६ ४२० प्रायश्चित्त सूत्र मैथुन सेवन के संकल्प से आभूषण निर्माण मैथुन सेवन के संकल्प से परस्पर उत्तरोष्ठ - करने के प्रायश्चित्त सूत्र परिक्रम के प्रायश्चित्त सूत्र ६०६ ४१० मैथुन सेवन के संकल्प से माला निर्माण करने मैथन सेवन के संकल्प से परस्पर दन्त परिकर्म के प्रायश्चित्त सूत्र के प्रायश्चित्त सूत्र ६१०४१० __ मैथुन सेवन के संकल्प से धातु निर्माण करने मैथुन सेवन के संकल्प से परस्पर अक्षिपत्र के प्रायश्चित्त सूत्र ४२२ परिकर्म के प्रायश्चित्त सूत्र ६११४११ ११ (५) मैथुनेच्छा सम्बन्धी प्रकीर्णक प्रायश्चित्त ०" पवाराणमायारपत्त मैथुन सेवन के संकल्प से परस्पर अक्षिपत्र मैथुन सेवन के लिए कलह करने का परिकर्म के प्रायश्चित्त सूत्र प्रायश्चित्त सूत्र मैथुन सेवन के संकल्प से परस्पर भौह आदि मैथन सेवन के संकल्प से पत्र लिखने का रोमों के परिकर्म के प्रायश्चित्त सूत्र ६१३ प्रायश्चित्त सूत्र ६३४ ४२२ मैथुन सेवन के संकल्प से परस्पर केश परिकर्म ममैथुन सेवन के संकल्प से प्रणीत आहार करने ___ का प्रायश्चित्त सूत्र का प्रायश्चित्त सूत्र वशीकरण करने का प्रायश्चित्त सूत्र ६३६४२३ मैथुन सेवन के संकल्प से परस्पर मस्तक ढकने अकृत्य सेवन के सम्बन्ध में हुए रिवाद का का प्रायश्चित्त सूत्र ६१५ ४१३ . निर्णय (३) मधुन के संकल्प से निषिध कृत्यों के प्रायश्विस-१० ५ परिशिष्ट मैथुन सेवन संकल्प के प्रायश्चित्त सूत्र चतुर्थ ब्रह्मचर्म महावत को पाँच भावनाएँ ४२४ विकुक्ति रूप से मैथुन संकल्प के प्रायश्चित्त प्रथम भावना : स्त्री युक्त स्थान का वर्जन ६३६ ४२४ ___४१४ द्वितीय भावना : स्त्री कथा विवर्जन ४२५ मैथुन सेवन के संकल्प से चिकित्सा करने तृतीय भावना : स्त्री रूप दर्शन निषेध ४२५ का सूत्र चतुर्थ भावना : पूर्व भक्त भोगों के स्मरण मैथुन सेवन के लिए प्रार्थना करने का का निषेध प्रायश्चित सूत्र पांचवी भावना : विकारवर्धक आहार निषेध ६४३ ४२७ मैथुन सेवन के लिए वस्त्र अपावृत्त करने का उपसंहार प्रायश्चित्त सूत्र ब्रह्मचर्य को नो अगुप्तियां ६४४ ४२८ मैथुन सेवन के लिए अंगादान दर्शन का ब्रह्मचर्य की नौ गुप्तियां ६४५ ४२८ प्रायश्चित्त सूत्र ६२१ ४१६ पंचम अपरिग्रह महाव्रत अंगादान परिकर्म के प्रायश्चित्त सूत्र ६२२ ।। अपरिग्रह महानत की आराधना-१ मैथुन सेवन के संकल्प से अंगादान परिकर्म के अपरिग्रह महाव्रत आराधना की प्रतिज्ञा ६४६ ४२९ प्रायश्चित्त सूत्र ४१७ अपरिग्रह महाव्रत की पांच भावनाएं ६४७ ४२६ हस्त कर्म प्रायश्चित्त सूत्र अपरिग्रह महावत को पादप की उपमा मैथुन सेवन के संकल्प से हस्तकर्म करने का अपरिग्रह महाव्रत आराधक के अकल्पनीय द्रव्य ६४६ प्रायश्चित्त मूत्र ६२५ अपरिग्रह महावत के आराधक-२ शुक्र के पुदगल निकालने का प्रायश्चित्त सूत्र ६२६ ४१६ अपरिग्रही ६५० ४३४ ६४० ४२६ ४२७ ____४१६ पवन ६२३ ४३२ ४१६ अपारणहर
SR No.090119
Book TitleCharananuyoga Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year
Total Pages782
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Conduct, Agam, Canon, H000, H010, & agam_related_other_literature
File Size23 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy