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________________ २७८ मा 9 २८० ir २८० २८१ २८२ ४०२ विषम सूत्रोक पृष्ठांक विषय सूत्रांक पृष्ठांक बमन आदि के परिकर्म के प्रायश्चित्त सूत्र ३७२ २६. अन्यतीथिकादि द्वारा सूई आदि के उत्तरकरण गृहस्य की चिकित्सा करने का प्रायश्चित्त सूत्र ३७३ २६० . के प्रायश्चित्त मूत्र ३६५ २७६ (२) निय-निप्रन्यिनी परस्पर चिकित्सा के प्रायश्चित्त बिना प्रयोजन सूई आदि मानना का प्रायश्चित्त सूत्र २७७ निर्ग्रन्थ द्वारा निर्ग्रन्य के पैरों आदि के परिकर्म अविधि से सूई मादि याचना के प्रायश्चित्त मूल ३६७ २७७ कराने के प्रायश्चित्त मूत्र ३७४ २६१ सूई आदि के विपरीत प्रयोगों के निम्रन्थी द्वारा निर्ग्रन्थी के पैरों आदि के परिकर्म प्रायश्चित्त सूत्र २७७ कराने के प्रायश्चित्त सूत्र ३०५ २६१ सुई आदि के अन्योन्य प्रदान का प्रायश्चित्त निग्रंथी द्वारा निर्ग्रन्थ के व्रणों की चिकित्सा करवाने के प्रायश्चित्त मूत्र २७६-२:२७ २६१ अन्वतीथिक और गृहस्थ से गृहधूम साफ करने निर्ग्रन्थी द्वारा निर्ग्रन्थ के कृमि निकलवाने के का प्रायश्चित्त सूत्र ४०० २७० प्रायश्चित्त सूत्र ३७८ प्रथम महाव्रत का परिशिष्ट-१ निर्ग्रन्य द्वारा निर्ग्रन्थी के द्रणों की चिकित्मा प्रथम महावत की पाँच भावनाएं __ करवाने के प्रायश्चित्त सू न म ५ व: निर्ग्रन्थ द्वारा निग्रन्थी के मण्डादि की विकिल्या द्वितीय भावना __ करवाने के प्रायश्चित्त सूत्र ३० २६५ तृतीय भावना निर्गन्य द्वारा निन्धी के कृमि निकलवाने ये चतुर्थ भावना प्रायश्चित्त सूत्र पंचम भावना उपसंहार (३) भन्यतीधिक या गृहस्थ द्वारा चिकित्सा करवाने के प्रायश्चित आरम्भ-रा।रम्भ-रामारम्भ के सात-सात प्रकार ४०३ वण की चिकित्सा करवाने के प्रायश्चित्त सूत्र ३८२ २६८ अनारम्भ असारम्भ और असमारम्भ के गण्ड आदि की चिकित्सा करवाने के सात-साद प्रकार प्रायश्चित्त मूत्र आट सूथम जीवों की हिंसा का निषेध २८३ कृमि निकलवाने का प्रायश्चित्त भूत्र ३८४ २०० आठ सूक्ष्म (४) अन्यतीयिक या गृहस्थ की चिकित्सा करने के प्रायश्चित प्रथम प्राण सूक्ष्म अन्यतीर्थिक या गृहस्थ के व्रण की चिकित्मा द्वितीय पनक सुश्म २८४ के प्रायश्चित्त सूत्र ३८५ २७१ तृतीय बीज सूक्ष्म २८४ अन्यतीथिक या गृहस्थ की गण्डादि की चतुर्व हरित सूक्ष्म ४०६ २८४ चिकित्सा के प्रायश्चित्त सूत्र २७२ पनग पुरप सूक्ष्म ४१० २८४ अन्यतीथिक या गृहस्थ के कृमि निकालने छठा अण्ड सूक्ष्म ४११ २५ का प्रायश्चित्त सूत्र सप्तम लयन सूक्ष्म अष्टम स्नेह सूक्ष्म ४१३ २८५ आरम्मजन्य कार्य करने के प्रायश्चित्त-६ पंचेन्द्रिय के घातक दस प्रकार का असंयम पानी बहने की नाली निर्माण करने का करते है ४१४ प्रायश्चित्त सूत्र २७४ दस प्रकार के असंयम २८६ छीका निर्माण करण प्रायश्चित्त सूत्र ३६ २७४ पंचेन्द्रिय जीवों के अघातक दस प्रकार का पदमार्गादि निर्माण करने का थायश्चित्त सूत्र ३६० २७४ संयम करते हैं पदमार्गादि निर्माण सम्बन्धी प्रायश्चित्त सूत्र ३६१ २७४ दस प्रकार के संयग २८७ दण्डादि परिस्कार सम्बन्धी प्रायश्चित्त २७५ पाप श्रमण का स्वरूप दारुदण्ड करने आदि के प्रायश्चित्त सूत्र २९३ २७५ अन्यतीथिकों का स्थविरों के साथ पृथ्वी हिंसा सूई आदि के परिष्कार के प्रायश्चित्त सूत्र ३६४ २७६ विषयक विवाद ४१६ २७ २८२ २८३ ० ४०७ ० ० ० ४१२ २८५ २८६ २६६ ३६२
SR No.090119
Book TitleCharananuyoga Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year
Total Pages782
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Conduct, Agam, Canon, H000, H010, & agam_related_other_literature
File Size23 MB
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