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________________ चर्चा विषय सूची चर्चा संख्या पृष्ठ संख्या चर्चा संख्या चर्चा पृष्ठ संख्या १ अष्टमंगल द्रव्य कौन कौन हैं। ४ | २० मुनि भोजनके समय हाथ क्यों मिला लेते हैं। २ श्री महाबीर स्वामोने जम्मकल्याणकके समय इन्द्रका संदेह २१ मालामें १०८ हो दाने क्यों होते हैं दूर करनेके लिये अपने पैरका अंगठा दबाकर मेरु पर्वतको २२ जपमें मालाको किस प्रकार जपना चाहिये कंपायमान किया या नहीं? २३ जपमें णमोकार मंत्रका जप किस प्रकार करना चाहिये। २५ ३ भगवान के माता पिताके नीहार है या नहीं? ६ | २४ जपके बाबिक उपांशु और मानस भेदोंका स्वरूप क्या ४ केशलोंचमें कहाँके केशलोंच होते हैं और कहाँक नहीं | है। ये जप किसके लिये किये जाते हैं और इनका क्या फल है २५ ५ तीर्थकर पंचमुष्टि लोच कहाँका करते हैं । २५ जप किस आसन पर बैठकर करना चाहिये ६ काटिशिला कहाँ है? २६ जप कहां करना चाहिये । ७ मुनिराज बिना पीछीके चलें या नहीं? २७ जप करते समय, विघ्न आ जाय तो उसका प्रायश्चित्त ८ मुनिराज जलमें प्रवेश करें या नहीं, नावमें बैठे या नहीं १० । क्या है। ९ खरदूषणके पास चौदह हजार विद्यायें थीं या नहीं ११ | २८ बाईस परोष किस किस कर्मके उदयसे होती हैं १० लंका लवणोदधिमें है या उपसमुद्र में |२९ मुनिराजके एक समय में अधिकसे अधिक कितनी परोषह ११ अरहंत देवको पूजा न करनेवाला और पात्रदान न देनेवाला होतो हैं किस योग्य है। १३ । ३० बाईस परीषह किस गुणस्थानमें होती हैं १२ श्रावकोंको प्रातःकाल सबसे पहिले क्या करना चाहिये १४ २१ चारों गतियों में रहनेवाले जोबोंके किस किस परीषहका उदय है ३४ १३ जो देवदर्शन किये बिना ही भोजन कर लेते हैं वे कैसे हैं ? १५ । ३२ जीवोंके निकलन्पर भी निगोदराशि घटती क्यों नहीं तथा १४ केवलीके ९ लब्धियाँ हैं परन्तु उनके दान भोग आदि हैं जोगेंके जानेपर भी सिद्धराशि बढ़ती क्यों नहीं या नहीं ? ३३ यम नियमका स्वरूप क्या है १५ सामान्य केवलीको नमस्कार किस प्रकार करना चाहिये। १६ ३४ अबासका लक्षण क्या है। १६ सामान्यकेवलोकी गंधकुटीमें गणधर होते हैं या नहीं १७ | ३५ यदि उपवास में जल पी ले तो उसका फल क्या है १७ सामान्य केबलीको गंधकुटीमें मानस्तंभ होता है या नहीं १७ । ३६ पंचोपचारो पूजाका स्वरूप क्या है १८ तीर्थकरके समवशरणमें जो गणधर केवली ऋद्धिधारी आदि ३७ देवपूजाको छह क्रियाएं कौनसो हैं की संख्या बतलाई है वह समवसरणको है या उनके ३८ सिद्धालय कहाँ हैं, वात वलपमें या वात वलयके ऊपर समयको १८ | ३९ सिद्ध जीव वात वलयसे आगे क्यों नहीं जाते १९ इस पंचमकालके मुनि कहाँ ठहरें १८ । ४० ध्यानको स्थिति कितनी है
SR No.090116
Book TitleCharcha Sagar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChampalal Pandit
PublisherBharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
Publication Year
Total Pages597
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Principle
File Size17 MB
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