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पर्चासागर [४०]
करते हो। परन्तु इसका उत्तर यह है कि ये सब प्रकारके साधु षटकायिक जीवोंको हिंसा पूर्वक अपने सब। कार्य करते हैं, सब क्रोध, मान, माया, लोभके वशीभूत हैं और सब अज्ञान, तप करनेवाले हैं। परमार्थ स्वरूप आत्माको जाननेवाले कोई नहीं हैं। इनमें से कितने हो मांसभक्षक हैं, कितने ही मद्य पीते हैं, कितने हो स्वरूप भारमाका जाननेवाले कोई नहीं अन्य प्रकारसे जीवोंके घातक हैं। इस प्रकार सब साधु अधोगतिके कारणोंको करनेवाले हैं । इनमेंसे कोई गिर, कोई पुरा, कोई नाय मावि नामसे कहलाते हैं परन्तु इनमेंसे मोक्षके पात्र कोई नहीं हैं। इसी प्रकार ब्राह्मणोंमें कान्यकुब्ज आदि कितने ही ब्राह्मण ऐसे हैं जो मांसभक्षक हैं, शक्तिके उपासक ब्राह्मण मध, मांसका । भक्षण करते हैं इसलिये कहना चाहिये कि न तो ऐसे साधु ही साधु हैं और न ऐसे ब्राह्मण हो साषु हैं । इस लिये ऊपर लिखे गणोंसे पुण्य ही साध हैं। सम्यग्दष्टियोंको उन्हींको पूजा करना चाहिये।
प्रश्न--पर लिखे हए नाथ, गिर आदि साध भो तप करते हैं महा कष्ट सहते हैं। सो इनका फल भो अच्छा ही होगा । तप और कष्ट व्यर्थ तो न जायगा ?
उत्तर-अज्ञानतपका फल भवनत्रिक आदि असुरोंमें उत्पन्न होना बतलाया है सो वहाँके फल भोगकर फिर वे निगोदके पात्र होते हैं । इसलिये वे मोक्षमार्गके पात्र साधु नहीं कहे जा सकते। ।
प्रश्न-इस समय ऐसे अतिथि वा साधु कोई नहीं हैं जिनको माना जाय ? - उत्तर-संसारसे अतिथि वा साधुजन बे हो मानने योग्य हैं जो स्नानके त्यागी हों, भोगोपभोगोंसे रहित हों, तिलक, श्रृंगार, अलंकार, आभूषण आदि सबसे रहित हों, जो शहद, मांस, मद्यके त्यागी हों उन्हों. को गुणवान् अतिमि कहते हैं । जो सत्यता, निष्कपटता, दया आदि गुणोंसे सुशोभित हों, जीवहिंसा आदि पापारम्भोंसे सर्वथा रहित हों, जो वेला, तेला आवि उग्र-उप महा सपश्चरणसे सुशोभित हों चे हो निश्चयसे अतिथि वा साधु कहलाते हैं। तिथि पर्व वा त्योहारका नाम है । जिसने तिथि वा पर्वके दिनोंके समस्त उत्सवों का त्याग कर विया है सो हो अतिथि वा साधु कहलाते हैं । जो अतिथि वा त्योहारोंके उत्सवोंको मानते हैं घे कभी अतिथि वा साधु नहीं हो सकते। ऐसे लोगोंको प्राघूर्णक वा पाहुना कहते हैं। जब किसी घरमें। पाहुना आता है तब उसके सामने अनेक प्रकारको भोजनपानको सामग्री, शरपा, आसन आदि देकर उसको प्रसन्न करते हैं परन्तु उनको साधु वा अतिथि नहीं कहते, पाहुना कहते हैं। सो ही महाभारतके शांतपर्वमें लिखा है
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