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________________ १७६-पर्धा एकसो उन्यासीवीं 'प्रचन-यदि किसीके हापसे प्रतिमाका भंग हो जाय तो क्या करना चाहिये । पासागर समाधाम-यदि किसीके हाथसे जिनप्रतिमाका भंग हो जाय तो उसो तीर्थकरकी अन्य प्रतिमाका एक ३२० ] हजार आठ शुद्ध जलके कलशोंसे तथा पंचामृतसे मंत्रपूर्वक महाभिषेक करना चाहिये। फिर एकसौ आठ बार मूलमन्त्रसे आहूती देनी चाहिये । तथा उस भग्न हुई प्रतिबिम्बको किसी अगाध जलमें विराजमान कर देना चाहिये ऐसा करनेसे वन दोष दूर होता है और तांति होती है । सो हो जिनसंहितामें लिखा हैस्नापयेदंगभंगेष्टसहस्रण जिनेश्वरम् ।होमं वा पातवत्कुर्याद् भग्नं चांगं सुसेवयेत् । ततो जलाधिवासादिप्रतिष्ठापनमाचरेत् । १८०-चर्चा एकसौ अस्सीवीं । प्रश्न- यदि क्षेत्रपालाविक यक्षोंकी पूजाका द्रव्य गिर जाय तो क्या करना चाहिये ? समाधान--क्षेत्रपालादिकको पूजाका द्रव्य गिर जाय तो उसको परखीस आहुती देनी चाहिये। यदि क्षेत्रपालकी मूर्ति गिर जाय तो इतने ही घटोंसे स्नान कराना चाहिये। यदि उसकी मूर्तिका भंग हो जाय तो वैसी हो दूसरी मूर्तिका एकसौ आठ कलशोंसे अभिषेक करना चाहिये। यदि उसके स्थानका भंग हो जाय तो गिर पड़नेके समान प्रायश्चित्त करना चाहिये। यह यक्षको पूजाका प्रायश्चित्त है। सो हो जिनसंहितामें लिखा हैयक्षाचापतने पंचविंशस्या तत्सम घटै। भंगे त्वष्टशतेन स्यारसद्मभेदे तु पातवत् ।। १८१-चर्चा एकसौ इक्यासीवीं प्रश्न-यदि जिममन्दिरमें हड्डो, मास आदिके गिर जानेसे वह दूषित हो जाय अथवा उसमें धागाल आदि अस्पृश्य मनुष्य घुस जाय तो क्या करना चाहिये ? समाधान-पहले तो हड्डो, मांस आदि अपवित्र पदार्थोको दूर कर समस्त मन्दिरको जलसे धुलवाना चाहिये। ध्वजारोपण, अंकुरारोपण और घूपके धूए से पवित्र करना चाहिये। फिर भगवानका अभिषेक कर । पूजा, जप और होम करना चाहिये । सो जिनसंहितामे लिखा है ARASTRATA-ATYALSTRAPAHARASTAASPASAWA THANIRAH
SR No.090116
Book TitleCharcha Sagar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChampalal Pandit
PublisherBharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
Publication Year
Total Pages597
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Principle
File Size17 MB
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