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________________ असागर [ १५७] TEACHERचाचाबाचामाचार ___ अर्थात् पूर्व दिशाको ओर मुख करके भगवानको विराजमान करे और पूजा करने के लिये उत्तर दिशाकी ओर मुंह करके बैठे। यहाँपर भी तिष्ठेत् क्रिया स्था धातुसे बनी है । जिनका अर्थ गति रहित होता है। इस प्रकार मौन सहित तिष्ठना वा बैठना अर्थ होता है। इनके सिवाय पूजाओंमें, पूजासारमें, भगवद् एक संधिकृत जिनसंहितामें, जिनप्रतिष्ठापाठमें तथा त्रिवर्णाचारमें भी पूजा करनेवाले पुरुषको पूजाके समय बैठकर ही भगवानको पूजा करनेका विधान लिखा है। वहाँ । पर बैठनेका मन्त्र लिखा है उसमें भी बैठनेका हो संकल्प है यथा-"ओं ही अहं अक्षं दर्भात । उपविशामि। स्वाहा" इस प्रकार बैठनेका हो विधान है इस प्रकार शास्त्रमें जो विधि बतलाई है उसको मानकर पूजा करना चाहिये, खड़े होकर पूजा नहीं करनी चाहिये। बैठकर ही करनी चाहिये । इस विषयमें अपने हटसे व्यर्थ वाद नहीं करना चाहिये । व्यवहारमें भी देखा जाता है राजसभासे जिनको बैठनेको आज्ञा है वे तो बंदना आदि कर समीप जाकर बैठ जाते हैं बैठे ही बैठे अपना सुख-दुख निवेदन करते हैं । दुःखोंको दूर करने के लिये अनेक पदार्थ भेंट कर उन धुःखोंकी शान्ति करा लेते हैं और अपने सब कार्य सिद्ध कर लेते हैं परन्तु जिनको । राजसभामें बैठनेका अधिकार नहीं है वह दूर खड़ा-खड़ा ही पुकारता रहता है। यदि वह औरों को बैठा हुआ। देख कर स्वयं भी समीप जाकर बैठता है तो द्वारपाल लोग उसे हाथ पकड़ कर वहाँसे उठा कर खड़ा कर देते हैं । इससे साबित होता है कि जो खड़े होकर पूजा करनेका विधान करते हैं वे समीप बैठनेका अधिकार नहीं रखते। प्रश्न—तुम बैठकर पूजन करनेको इतनी पुष्टि क्यों करते हो ? खड़े होकर पूजा करने में क्या दोष है । क्योंकि फल तो भावोंके अनुसार हुआ करता है ? समाधान-क्या यह नियम है कि खड़े होकर ही भाव लगते हैं पद्मासनसे बैठकर भाव नहीं लगते । तया पपासनसे बैठकर भाव लगे तो भी अच्छे नहीं। यदि यह बात शास्त्रमें लिखी हो तो हमें प्रमाण है । आपको चाहिये कि शास्त्रके ऐसे इलोक अथवा गाया आवि बतलावे जिनको हम आप दोनों ही प्रमाण मानकर श्रदान करें। यवि शास्त्रोंमें ऐसा प्रमाण कहीं नहीं मिलता तो जो शास्त्रों में पद्मासनसे बैठकर पूजा करनेका । मायाचनाचाराचा
SR No.090116
Book TitleCharcha Sagar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChampalal Pandit
PublisherBharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
Publication Year
Total Pages597
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Principle
File Size17 MB
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