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________________ पर्यासागर [ १३९] १२६-चर्चा एकसौ छब्बीसवीं प्रश्न-नारको जीवोंके शरीरका वर्ण एकसा है अथवा जुरे-जुवे रंगका है ? समाधान- तारको जीवोंका शरीर क्रिपिक है और उनका सबका वर्ण कृष्ण वर्ण वा काला है। सोही गोम्मटसारके लेश्याधिकारमें लिखा है गिरया किण्हा कप्पा, भावाणगया दुतिसुरणरतिरिये । उत्तरदेहे छक्क, भोगे रविचंदहरियंगा ॥१६॥ १२७-चर्चा एकसौ सत्ताईसवीं प्रश्न-पृथ्वोकायिक आदि समस्त सूक्ष्म जीवों के शरीरका वर्ण कौनसा है ? समाधान-समस्त सूक्ष्म जीवोंका शरोर कापोत रंगके ( कबूतरके रंगके ) समान है। सो ही गोम्मट। सारके लेश्याधिकारमें लिखा है सम्वेसि सुहमाणं कावोदा, सव्व विग्गहे सुक्का । सव्वो मिस्सो देहो, कवोदवण्णो हवे णियमा ॥ ४९८ ॥ १२८-चर्चा एकसौ अट्ठाईसवीं प्रश्न--विग्रहगतिमें रहनेवाले अनाहारक जीवके कार्मण योगके शरीरका वर्ष कोनसा है ? समाधान-विग्रहगतिके समयमें समस्त जीव शुक्ल शरीर धारण करते हैं । भावार्य-कार्माग शरीरका वर्ण शुक्ल है । सो हो गोम्मटसारमै लेण्याधिकारमें लिखा है सव्व विग्गहे मुक्का १२९-चर्चा एकसौ उनतीसवीं प्रश्न-मिश्रयोगवाले जीवके शरीरका वर्ण कोनसा है ? समाषान--मिश्रयोगवालेके शरीरका वर्ण कपोत वर्ण है। भावार्थ-अपनी-अपनी पर्याप्तिके प्रारम्भ प्रथम समयसे लेकर जब तक शरीर पर्याप्ति पूर्ण नहीं होती तबतक अपर्याप्तक अवस्था कहलाती है। उस अपर्याप्तक अवस्था शरीरका धर्ण नियमसे कपोत वर्णका होता है। सो ही गोम्मटसारमें लिखा है
SR No.090116
Book TitleCharcha Sagar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChampalal Pandit
PublisherBharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
Publication Year
Total Pages597
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Principle
File Size17 MB
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