________________
सागर - १२७ ]
मुनियों के साथ मोम पधारे फिर उनके बाद उसी कूटसे सत्तर करोड़ साठ लाल छह हजार सातसे दियालोस। मुनि और मोम पधारे। इस फूटके दर्शन करने से एक करोड़ उपवास करनेका फल और कोको निर्भरा होतो है। इसकी यात्रा चतुर्विध संध सहित राजा मुप्रभमें की थी। श्रीअनंतनाय भगवान् स्वयंभू नामके कूटसे एक हजार मुनियों सहित मोक्ष पधारे। उनके बाद उसी कूटसे छयानवे कोडाकोडि सत्तर करोड़, सत्तर लाख, सत्तर हजार सात-सौ मुनिराज और मोक्ष पधारे । इस कूटके दर्शन करनेसे सोलह करोड़ उपवास करनेका फल और कर्मोकी । निर्जरा होती है । इसको यात्रा सतुर्विध संघ सहित राजा चारुसेनने की थी । श्रीधर्मनाथ स्वामी वत्तवर फूटसे । एक हजार मुनियों सहित मोक्ष पधारे। फिर उसी फूटसे उन्नीस करोड़ नौ लाख नौ हजार सात सौ पिचयानवे मुनिराज और मोक्ष पधारे। इस फागो भान करने को मारमा पर और कर्मोको निर्जरा होती है। इसको यात्रा चतुर्विध संघ सहित राजा विभोवसेनने को थी। श्रीशांतिनाथ तीर्थंकर प्रभास कूटसे एक । हजार मुनियों सहित मोक्ष पधारें। फिर उसो घाटसे नौ फोडाकोडि नौ लाख नौ हजार नौ सौ निन्यानवे मुनियोंने और मोक्ष पाई । इस कूटके दर्शन करनेसे एक करोड़ उपवासका फल और कर्मोंकी निर्जरा होती है। इसको याश संघ सहित राजा सुदर्शनने की थी। श्रीकुंथुनाथ भगवान ज्ञानधर कूटसे एक हजार मनियों सहित । मोक्ष पषार फिर उसी कूटसे छयानवे कोडाकोडि छयानवे करोड़ बत्तीस लाख छयानबे हजार सात सौ विया लीस मुनि और मोक्ष पधारे। इस कूट के दर्शन करनेसे एक करोड़ उपवासका फल और कोको निर्जरा होतो है । इसको यात्रा चतुर्विध संघ सहित राजा सोमघरने को थी। श्रीअरहनाय स्वामी नाटक कूटसे एक हजार मुनियों सहित मोक्ष पधारे। फिर वही कूटत निन्यानवे करोड़ निन्यानवे लाख निन्यानवे हजार मुनिराज
पधारे। इस कटकी वंदना करनेसे उद्यान करोड उपवास करनेका फल और कोको निर्जरा होती । है । इसकी यात्रा चतुर्विध संघसहित राजा सुप्रभने को थो। श्रीमल्लिनाथ तीर्थकर संबल कूटते पांच हजार A मुनियों सहित मोक्ष पधारे फिर उसी कूटते निन्यानवे करोड़ मुनि और मोक्ष पधारे । इस कूटके दर्शन करनेते।
छयानवे करोड़ उपवास करनेका फल और कर्मोको निर्जरा होती है । इसकी यात्रा चतुर्विध संघसहित राजा ॥ सत्यसेनने की थी। श्रीमुनिसुव्रतनाथ स्वामी निर्जर कूटसे एक हजार मुनियों सहित मोक्ष पधारे फिर उसी
कूटसे निन्यानवे कोडाफोडि सत्यानवे करोड़ नौ लाख नौ सौ निन्यानवे मुनि और मोक्ष पधारे इस फटके । वर्तन करनेसे एक करोड़ उपवासका फल तपा कोको निर्जरा होती है। इसको यात्रा चतुर्विध संघसहित ।
-PraEAREFRELES