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________________ पृष्ठ ७२० क २८ ७२० १० ७२० ३० ७२० ग ३५ ७२० १३ ७२० ३२ ७२० घ १८ ७२० रु ११ ७२० ड्र ४ ७२७ ङ ७२१ ७२१ पंक्ति ७२२ ७२२ ७२२ ७२१ १९ ७२१ २४ ७२१ २५ E ७२२ ७२२ ५ केमोथे ७२२ ૫૨૨ १५ ७२२ १३ २७ ३० ७२२ ३६ ना.४ मे सम्यक क्षपकश्रेणी का. ४ में किसी सबैद का ४ में स स ० 9 का. ४ में ३२-३०-२ का. ३ में अपर्याप्त अयम्सन होऊ घ का ४ मे १ अशुद्धता श्री ३ मं १०१ का ४ मे १९१-८६-८१ नीचे के सूचना में देखो प्रकृतियों और १४ वें नीचे के सूचना में देखो दोनो से कोई १ वेदनीय कर उदय १ने में में परिमान ने का " २ रे काने में उपगागि دو में है वह स्वा जाय। १ से जाने में १२ रे रे वृषमनाराय नाराच * वध १ ले खाने में और २ रे खाने में की पंक्तिति २६ के नीचे इस तरह पूरा रेखा खीची जाय कारण इस रेखा के नीचे का विषय अलग इस रेसा नोचे जानें में जो प्रश्न है उसका उत्तर दूसरे खाने १ JP " शुद्धता मभ्यश्व और क्षपको किसी भी संवेद १ ले २ रे ३ रे वस्त्रनाराच ४ ६ वृष मनाराज ७ के नीचे जो प्रश्न और उत्तर छपी है वह गलत हैं उन दोनों को निकाल देनी चाहिये । १ ले खाने में २९-३०-१ oodpo १३२-३०-३२ अपत अवस्था में ही हो सकता है । १- १ १-१-० १०१-८५-८५ प्रकृतियों में और १४ वें दोनों में से कोई 1 वेदनीय का उदय परिणम ने परिणमा का उपायाति वज्र नाराष, नाराच २९-३०-३१ २ रे खाने में इस तरह पूरा रेखा ही जाय कारण मी का विषय के खाने में का है अलग है | १ ले खाने में इस कारण इसका कारण के अर्थात ज्ञानावरण के पांच भेदोंकास्पद पंक्ति के नीचे २ रें खाने में इस तरह पूरा रेखा खीची जाय कारग नीचे का विषय अक्रम हूँ । २ कामे मतिज्ञानावरण कर्म नतिजानका जो आवरण इस पंडित को पृष्ठ ७२३ केले खानें की पहली पंक्ति के ऊपर पड़ा जाय।
SR No.090115
Book TitleChautis Sthan Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAadisagarmuni
PublisherUlfatrayji Jain Haryana
Publication Year1968
Total Pages874
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & Karm
File Size16 MB
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