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________________ १७ पंक्ति परता शुद्धता ६.४ १६ ६४४ २१ ६४४ २७ ६४५ १. ६४५ २३ का. ६ में १९-१-०-९ का.में तिर्यचगांत में का ३ में ३-४-१-४-१ के का। में तियंचगति में का.३ में तिर्यचगति में का. ३ में। संज्ञी जानना १९-११-०-१२ लियंचगति में भांगमि में ३-४-३-४-१-३ के तियंचगति में भोग भूमि में तियंचति में गोगभूमि में सूचना-पृष्ठ ६५२ पर देखा १संजी जानना परंतु तिर्यत्तति में भाग भूमि की अपेक्षा आनना । १ मंशी पर्याप्तवत् जानना नियंचगति में भोगमि में तियं चाति में भोगभूमि में तियंचति में मोगभूमि में ९-७-१-१ तियंगति में मोग मूमि में दर्शन ३ ये क्षयोपशम भात्र की अपेक्षा जानना, केवल दर्शन तो ९क्षायिक भावों में गभित हो सका है। २२-२० के को.नं. १८ के का में संशी जानन! का.३ में तियंगति में का ३ में तिर्य चगति में का, ३ में सियंचगति में का, ६ में ९-७-९ का ३ में तिर्यचत्ति में का.२ में दर्शन ३ ६४८१ १४८ १५ ६४८ २६ ५४९ ७ ६५. ६५. २२ २३ का ३ में २२-२ के का. ३ में को. नं. ६५२ १३ निम्न प्रकार सुचना लिख लेना चाहिय के नीचे सन्चना-चौतीसस्थान क्रमांक २,३,६,७.८और १६ के सामने ३ रेकॉलम में चारोंगतियों में से तिर्यंचगति में गोगममि को क्ष जानना । का. ५ में भंगो में का ६ मे २५-२ २५-२५ ६५६ १८ का ६ में २-३ के 1-२-३ ६५७ ६ का. ३ में २-३-३ का १ में १३ ददान १४ दर्शन ६५७ १४ का ३ में २-३ ६५८१ का, ४ में देखा १६ देखा ६५८ १० ६५९ ६६. ६६१ ६६१ १ ४ ९ ९ का ६ में -६ का ६ में ४ का. ३ मे ३१-२७-१ का ३में २७-२६ २७.२५
SR No.090115
Book TitleChautis Sthan Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAadisagarmuni
PublisherUlfatrayji Jain Haryana
Publication Year1968
Total Pages874
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & Karm
File Size16 MB
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