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________________ पृष्ठ पति आतुरता शुद्धता १७ ૪૫૪ ૨૪ ४५५ ४ ४५६७ का ३ में २२२१२०० का २ में इन उदय नहीं का २ में १० २२२१२०२० सुचना ४५५ पर देखो इम ४ का उदय नही ४५७ ४५८ २२ ९ का. ३ में पेज ५८ पर सर्व लोक १ . अंग पष्ठ ४५८ पर सर्व काल अपने अपने स्थान की लम्धिला ६५४ भी होती है। औ मिश्रकायमोग 4. मिश्रकाययोग १६ देखो १ज्ञान ४६११११३ ४६२ ६ का.६ में औ कायद्योग१ वै. कायमोग १ का, ४ मैं ६ देखो का. ८ में १ यान का ३ में को नं ६ का . . में १ संज्ञा का. ५ में देखो का, ७ में १ भंग ४६४ २८ ४६४ २८ १ संज्ञा १९ देखा सारेभंग वक्षन ३ ४५८ ११ प्राप्त न कर सके १७-१८ देखो १८ लाखयोनी जानना का, २ में दर्शन ५ का. ६ में २४-२३ प्राप्त सके का, ३ में १७-१ देखो का.३ में १८ लाख मनुष्व योनी जानमा का, ३ में ८-९ के का. ३ में ८ देखो का ६ में स्त्री पुरुषवंद का.६ में पेज ७४ पर का.२ में ४ का ३ में ४-४-१ का.२ में श्रेष आसध्यान का ६ में १८ देखो स्री नपुंसकवेद पष्ट ४४८ पर १७६ १४ ४७६ १८ ४७६ १७ ४७६ २५ शेष आध्यान १ मनुष्यगति में ४७७ ७ का.६ में १का भंग १२ का मंग दर्शन ३
SR No.090115
Book TitleChautis Sthan Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAadisagarmuni
PublisherUlfatrayji Jain Haryana
Publication Year1968
Total Pages874
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & Karm
File Size16 MB
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