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________________ शुद्धता २ रे गुण ये २० का भंग पृष्टः पंक्ति बसा १४२ १६ का. ३ में १ रे गुण १४२ २४ का.६ में ये १४३ १० का, ६ में १७ के १४३ १२ का.६ में थे ४ ज्ञान १ १४५ १४ का. ३ में का भंग १५१ . का. ४ मे ११ १५५ २. का. ६ में १ रे १५७ ६ का. ६ मे १९ में १५७ २ का.८ में १-२ के १५७ ८ का. ४ में १ ले गुण' में १४२ १७ का.४ में चारों गतियो मे से कोई १ गति १४४ ११ का. ४ में चारोगतियों में में कोई गति का, ४ में तिर्थच या मनुष्य गतियों में से कोई१मति स्त्री पुरुष ये स. निगा ल, अभि. १, २ वेद घटाकर १ले २ रे गुण. में एक मनुष्य गति एक मनुष्य गति एक मनुष्य गति १५२ १६ १५३ ९ नामकर्भ २८ सत्ता जानना मत्ता जानना सम्यग्मिथ्यात्व १, सम्यकप्रकृति । ये ४ वटाकर नामकर्म २७ सत्ता अनन्तानुबंधी कषाय ४ नरफाय १, तिवाय , ये ६ घटाकर जानमा ससा ऊपर की १४२ प्रकृतीको सत्तामे से दर्शन मोहिनी की तीन प्रकृति घटाकर १३९ जानना । सत्ता ऊपर की १३९ प्र. की सत्तामे से देवायु १ घटाकर १३८ जानना। भंग २५ कषायों में से एक ज्ञान घटाकर ५ शान १५३ १३ लत्ता जानना १५८ ३ का, ६ में मंग एक १५९ १ का. ५ में । कुज्ञान १५९ २ का ६ में घटाकर १ १५९ १ का. ८ में १ कुज्ञान १६. ११ का. ३ में ३-१-१ के १६१ ४ का.३ मे ३ १६१ ५ का.६ में २ १६११३ के नीचे का. ३ में १६१ १४ का ५में भंग जानना १ मध्य मानना सम्यवस्य जानना
SR No.090115
Book TitleChautis Sthan Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAadisagarmuni
PublisherUlfatrayji Jain Haryana
Publication Year1968
Total Pages874
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & Karm
File Size16 MB
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