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________________ चौतीस स्थान दर्शन कोष्टक नम्बर ४ (असंयत अविरत) गुण स्थान ४ । (२) तियंच गति में २१.२० | १ मॅग ? भंग (२) तिर्यच गति में भांग | भंग १ भंग के अंग को न. १७ देखी ! का नं.१७ देखो को नं०१७ देखा भूमि की अपेक्षा ११ को नं०१७ देखो को नं०१४ (2) मनुष्य गति में २१- ० १ भंग १ भंग | का भंग को नं १० देखो देखो के भंग को नं० १८ देखो | को नं०१८ दखो का न०१८ देखा (३) मनुष्य गति में १२-[ भंग १ भग 14) देव गनि में 0-१६-१९१ मंग१ मंग १ ६ के अंग को न०१८को नं.१८ देखो को नं.१% के भंग की नं. १६ देवो ! को नं. १६ देखो कोनं १६ देखो देखो (6) देव गनि म १६-१६- १ भंग । १ भंग १६ के भंग को नं०१६को नं०१९ देशों, को नं०११ १२ जान मति-भूत-प्रधि ज्ञान ये (३) भंन मान मंग । १ जान । (१) नरक गनि में ३ का भंग का नं०१६ देखो को नं०१६ देखो ( नरक गति में ३ का भंगका नं०१६ देखो को नं०१६ को नं० १६ देखो को० नं १६ देखो | ! देखो (२) तिथंच गति में ३-३ के | १ मंग । ।ज्ञान (२) तिर्यच गनि में केवल १ भंग १ज्ञान भंग को नं० १७ देखा को नं०१७ देखो को नं० १७ देखो भोग भूमि की अपेक्षा को नं०१७ देखो को नं०१५ (३) मनुष्य गनि में 3-2 के १ मंग जान । ३ का भंग को में देखो भंग को नं. १८ देखो को नं.१- देखो को नं.- देखो १७ देखो जान 14) देव गनियों में ३ का भंग १ मंग ज्ञान | मनुष्य गति में ३-2 के मारे भंग का नं०१८ को न १६ देखा क. नं. १६ देखो को नं. १६ देवो भंग को नं०१८ देन्बो की नं0यो देखो (१च गति में -३ के | भंग १ज्ञान भंग को न०१६देवा को न०१६ देखो को नं०१२ चाग गनियों में हरक में | १ असंयम जानना को नं०१६ मे का नं.१६ | नागें गतियों में हरेक में । को नं. १६ मे का नं०१६ का नं०१६ मे १६ देयों देवा में देखो | १६मयन जान्ना को १६दनो मे देखो नं० १६ मे ११ देखी परन्तु निव गनि में देवन योग भूमि को प्राक्षा मानना ग १ दान 12)नाम गनि में : का को नं. १६ देखो की नं.१६ देखा, (१) नरक गति में : का कोनं १६ देखो। को न भम की नं०१६ खो भंग को २०१६देखो : अयम अथवा १४ दान को नं. १ मा
SR No.090115
Book TitleChautis Sthan Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAadisagarmuni
PublisherUlfatrayji Jain Haryana
Publication Year1968
Total Pages874
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & Karm
File Size16 MB
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