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________________ चौतीस स्थान दर्शन कोष्टक २०६४ आहारक मैं २३ भाव (४) देवगति में सारे भंग १ मंग ३२-३६-३२-४१-३६-३२-कोनं १६ देखो को नं.१६ देखो ३२ के भंग को नं०१६ | के ४३-३८-३३.४२-३७। ३३-३३ हरेक भंग में से कारण काययोग १ घटाकर ४२-३७-३२-४१-३६ ३२ के भंग जानना सारे भंग भंग । सारे भग १ भग (१) नरक गत्ति में १७-१६-१६-१७ | हरेक अंग में से कुअवि जान १. मनः । २६-२४-२५-२८-२७ के भंग के अंग । कोई एक-एक , पर्यय जान १, उपशम ' को० नं०१६ देसो को.नं१६ देखो | भंग जानना चारित्र १. सरागसंयम १ 1) तिर्यच गति में १७-१६-१६-१७-१७. हरेक भंग में से | पे४ घटाकर (४६) २४-२५-२७-३१-२६. के रंग कोई न त में १७.१७ के भंग हरेक भंग में से ३०-१२-२६-२७-२५- को० नं० १७ देखो मंग जानना २५-२७ के भग को० नं०१६ देखो | कोई एक-एक २६-२१ के भग को नं०१६ देखो भंग जानना को००१७ देखो (२) तिर्यच गति में १७-१६-१०-६- हरेक मंग में से (३) मनुष्य गति में १७-१६-१६-१७. हरेक मंग में से २४-२५-२७-२७-२२-२३- १७ के मंग काई एक एक ३१-२६-३-३३-३०-१७-१७-१७-२७- | कोई एक-एक २५-२५ २४-०२-२५ के भंग को० नं. १-देखो भग जानना ३१-२७-१-२६-२६-१७-१६-१६-१५- मंग जानना को नं०१७ देखो २८-२७-२६-२५-२४- १५-१४ के भंग (३) मनुष्य गति में १+१६-१७-१७- हरेका भंग में से २३-२३-२१-२०-१४- को० नं०१८ देखो ३०-२८-३०-२७-१४-१०-१७-१६.७ कोई एक-एक २७-२५-२६-२९ के मंग २४-२२-२५ के भंग के भंग भंग जानना को० नं०१८ देखो को००१८ देखो को नं०१८ देखो (४) देवगति में |१७-१६-१६-१७. 'हरेक मंग में से | (४) देवगति में १७-१६-१७-१६- हरेक भंग में से २५-२३-२४-२६-२७-१७-१६-१-१७. । कोई एक-एक | २६-२४.२६-२१-२८- १७-१७-१६-१७. कोई एक-एक २५-२६-२६-२४-२२- १७-१६-१६-१७. भंग जानना |२३.२१-२५-२६ के भंग' १७ के भंग | भंग जानना २३-२६-२५ के भंग १७के भंग को न सो को नं. १६ देवो को.नं. १६ देखो को.नं. १६ देखो ।
SR No.090115
Book TitleChautis Sthan Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAadisagarmuni
PublisherUlfatrayji Jain Haryana
Publication Year1968
Total Pages874
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & Karm
File Size16 MB
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