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________________ ६ गति ७ इन्द्रिय जानि १. ८. काय १० वेद चतीरा स्थान दर्शन योग श्री० मिश्रकाययोग श्री० काययोग १, कार्मारण काययोग १, अनुभव वचनयोग १ ये ४ योग जानना E को० नं० १ देखी ११ फाय १ तियंच गति मे ५ सं० पर्यात | (१) तियंच गति में को० नं० १ देखो १२ जान २५ को० नं. १ देवो कुमति-श्रुत 2 ५. एकेन्द्रिय से अजी पंचेन्द्रिय पर्याप्त जानना को० नं० १० देखो ६ (१) नियंत्र गति में ६ का मंग को० नं० १७ देख २ भी० काययोग १, अनुमय वचन योग १ ये जानना (१) नियंच पति में १ के भंग को० नं १३ देवो ३ (१) नियंच गति में १-३ के मंग को० नं० १७ देवी २५ (१) नियंचगति में २३-२५ के मंग को नं० १७ देखी → (१) निर्म गति में २ का भंग को० नं० १० देखो f ६६४ १ कोष्टक ०२ १ १ जाति १ काय १ भंग १ मंग ४ १ मंग सारे भंग १ भंग I १ जाति १ कास १ कोष १ बोन वेद १ भंग १ जन 1 १ ५. (१) नियंच गति में । ५ अमंत्री पं० नक पांचों ही जाति जानना को० नं० १० देखो ६ (१) नियंच गति में ६-४ के मंग को० नं० १७ देखो २ औ० मित्रकाययोग १, काम काययोग १. ये २ वो जानता (१) नियंच गति में १-२ के भंग [को० नं० १७ देखी ६ (१) तिच गति मे १- ३ के भंग को० नं० १७ देखी २५ (१) नियंत्र गति में २३-२५-२३-२५. के भंग क० नं० १७ देखो २ (१) नियंच गति में २ का मंग को० १० न० १७ सो १ जानि १ काम १ भंग १ मंग १ भंग मारे भंग १ मंग असंज्ञी में T १ १ जाति १ काय १ योग १ योग 5 १ वेद १ भंग १ ज्ञान
SR No.090115
Book TitleChautis Sthan Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAadisagarmuni
PublisherUlfatrayji Jain Haryana
Publication Year1968
Total Pages874
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & Karm
File Size16 MB
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