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________________ १ चौतीस स्थान दर्शन 1 २ २१ प्यान ३ (२) नियंच गति में ६ के मंग को० नं० १० देखो (३) मनुष्य गति में ९-७-६-७-२-६ के भंग को० नं० १८ देखो (२) देवगति मे ६ का मंग को० नं० १३ देषो १६ १६ को० नं० १८ देखो (१) नरक-देवगति में हरेक में I १० का भंग को० नं० १६-१६ देखो (२) नियंच गति में ( ६४६ ) कोष्टक नं ० ० १ भग को० नं० १० देखो सारे भंग कोनं० १८ देखो १ मंग [को० नं० १६ देखो सारे मंग को० नं० १६-१६ देखो १ उपयोग फो० नं० १७ देखो! १ उपयोग को० नं० १६ देखो १ उपयोग को नं० १८ देखी | को० नं० १७ देख (३) मनुष्य गति में ६-६-२-६ के मंग को० नं० १० देखो (४) देवगति में ६-६ के भंग को० नं० १६ देखो १ ध्यान को० नं० १६१६ देखो को० नं० १६ देखो (२) तियंच गति में भोग भूमि में ६ का भंग . ६ 1 ܕܙ १. ध्यान भंग को० नं० १७ देखो को० नं० १७ देखी हरेक में १० का भंग ६ का भंग को० नं० १७ देखी (३) मनुष्य गति में ! ध्यान सारे भंग को० नं० १६-१६ देखो १०-११-३-४-१--१--१० को० नं० १८ देखो को नं० १= देखो (२) निर्बंध गति में १-१० के मंग को० नं० १८ देखो भोग भूमि में 6 का भंग को० नं०] १७ देखो (३) मनुष्य गति में ६-७-६ के मंग | को० नं० १८ देखो ! ! क्षारिक सम्यक्त्व में प्रथक्त्व वितर्क विचार १, एकत्व वितर्क अविचार १, परिनिनिन१. ३ घटाकर (१३) (१) नरक-देवगति में 5 १ मंग को० नं० १७ देखी मारे भंग [को० नं० १५ देखो १ मंग को० नं० १६ देखो सारे मंग कोनं ० . ६-१२ देसो १ उपयोग को० नं० १७ देखो १ उपयोग ०नं० १८ देखो १ उपयोग को० नं० १६ देखो १ ध्यान को० नं० १६१६ देखो १ भंग १ ज्यान को० न० १७ देवों को० नं० १७ देख सारे भंन १ ध्यान ० नं० १८ देवी | को० नं० १८ दे
SR No.090115
Book TitleChautis Sthan Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAadisagarmuni
PublisherUlfatrayji Jain Haryana
Publication Year1968
Total Pages874
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & Karm
File Size16 MB
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