SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 624
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ चौंतीस स्थान दर्शन (५९ कोष्टक नं० ८२ अभव्य में (२) तिर्यच गति में ६.-४-६ के भंग कोनं० १७ देखी । सारे भंग १भंग (निर्यच गति में भंग । १ मंग। को० नं. १ देखो कोन.१३ देखो ३-६ के भंग कोनं-१७ देखो कोनं : १७ देखो को० नं०१७देखा । लब्धि रूप ६-५-४ भी होती, ४मारण म १ भंग १भंग १ भंग को २०१देखो (1) नरक-मनुष्य-देवगति में को० नं०१६-१८ को नं०१६-१--(१) नरक-मनुष्य-देवगति को नं०१६-१८- कोनं०१६-१८ हरेक में १६ देखो । १६ देखो । में हरेक में ! १६ देखो ! १६ देखो १० का मंग ।७ का भंग को० नं०१६-१८-६९ दस्रो | कोनं १६-१८-१९ देखो (२) नियंच गति में १ भंग | १ मंग (२) लियंच गति में १०-६-5--६-४-१. को. नं० १७ देखो कोनं०१७ देखी ७-७-६-५-४-३-७ के भंग | को०म०१७ देसो कोनं १७ देखो के मंग को नं० १७ देलो को० नं०१७ देखो ५ संज्ञा भंग १ भंग को००१ देखो (1) नरक-देवमति में को.नं०१६-११- कोनं०१६-११- ( नरक-देवगति में को.नं०१६-११ को नं०१६-१६ हरेक में | देखो देखो हरेक में देखो देखो ४ का मंग ४ का मंग को नं०१६-१६ देखो को० नं. ६-१६ देखो | (२) तिर्यच-मनुष्य गति में (२) तिर्यच-मनुष्य गति में १मंग १ भंग हरेक में कोन०१७-१८ कोनं०१७- हरेक में को.नं.१७-१८ को०२०१७-१८ ४-४ के भंग देखो १८ देखो ४-४ के भंग | देखो को नं०१७-१८ देखो कोन १७-१८ देखो । ६पति गति । १ मनि । १ गति १ गति को. नं०१देखो | चारों गति जानना पतिवत् जानना ७ इन्द्रिय जाति ५ नाति जाति । १जाति १जाति कोनं १ देखो | (1) नरक-मनुष्य-देवगति में को० नं० १६-१८- कोनं० १६-१८- (१) नरक-तियंच-देवगति को. नं० १६-१८- कोनं०१६-८. हरेक में १६ देखो देखो : में हरेक में १६ देखो १६ देखो पंचेन्द्रिय जाति पंचेन्द्रिय जाति जानना
SR No.090115
Book TitleChautis Sthan Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAadisagarmuni
PublisherUlfatrayji Jain Haryana
Publication Year1968
Total Pages874
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & Karm
File Size16 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy