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________________ चौंतीस स्थान दर्शन कोष्टक नं० ८१ भव्य में - २५-२६-२६ के भंग । १० के २४ के भंग में से को नं. १८ के समान । १ अभब्य घटाकर २३ । जानना | का भंग जानना (४) देवगति में सारे भंग भंग । २२-२५ के भंग २४ का भंग को० नं०१६ को.नं.१६ देखो को0नं0१६ देतो' को नं. १५ के समान के २५ के मंग में से १ (४) देवमति में सारे माग । १ भंग अभव्य घटाकर २४ का ! २५ का मंग को नं. को नं. १८ देखो कोनं०१८ देखो मंग जानना १० के २६ के भंग में से २३-२४-२६ के भग |१मभव्य बटाकर २५ को.नं. १६ देखा । का भंग जानना २६ का भंग को० नं० १६ १४ का भंग को नं० । के २७ के भंग में से ' १६ के समान जानना अभव्य घटाकर २६ का । २५ का भंग को. नं. भंग जानना । १६ क २६ के भंग में से २५-२६-२६ के मंग १प्रभव्य घटाकर २५ । को० नं०१६ के समान का भंग जानना जामना २४-२८ के भंग २३ का भंग की.नं०१६ को. नं०१६ के समान के २४ के मंग में से १, जानना प्रभव्य घटाकर २३ का ! २२ को मंग को० न०१६ भग जानना के २३ के भंग में ! २२-२३-२६-२५ के मंग प्रभव्य घटाकर २२ का। को० नं. १६ के ममान मग जानना जानना २१-२६-२६ के भंग को० नं०१६ समान সানা -- ---- --
SR No.090115
Book TitleChautis Sthan Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAadisagarmuni
PublisherUlfatrayji Jain Haryana
Publication Year1968
Total Pages874
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & Karm
File Size16 MB
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