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________________ चौतीस स्थान दर्शन क्र० स्थान सामान्य प्रालाप १ गुण स्थान १ से १३ तक के गु २ जीव समास मंत्री गं पर्याप पर्याप्त भाग १३ . को० ० १ देखी पर्याप्त नाना जीव की अपेक्षा १३ (१) निर्यच गति में १ से ५ भोग भूमि में १ से ४ (२१ मनुष्य गति में १ म भोग भूमि में १ से ४ (2) देवगति में १ से ४ १ संशी १० पर्या मोनों गलियों में हरेक में 2 [नजी पंपयन जानना ० नं० ७१६:३देखो को [को० नं० १ देखो (१) तिर्यच देव गतियों मे हरेक में १० का मन जानना तीनों गतियों में हरेक में ६. का भंग फोन नं १७०१५-१६ देखो। ० ० ५६ देखी । ५६३ 1 कोष्टक नं० ७९ एक जीव के नाना एक जीव के एक समय में समय में सारे गु० अपने अपने स्थान सारे गुण स्थान जानना १ भंग वे १ भंग को० नं० १७१६ देखो १ मु० ሂ अपने अपने स्थान (१) मनुष्य गति में के सारे गुण में से कोई १ मुख० D जानना । 1 I ? १ मंग नाना जीवों को अपेक्षा १ भंग को० नं० १७ १६ देखो १-२-५-२-१३ (२) देवगति में १-२-४ १ संजी पं० प्रपर्याप्त दोनों गतियों में हरेक में १ संशी पं० अपर्याप्त जानना की००१८-१९ देखो ३ दोनों गतियों में हरेक में | ३ का भंग जानना को० नं० ८०१९ देख लब्धि रूप ६ का भंग भी होता है। ་ (१) देव गति में ७ का भग जानना [को० नं० ११ देखो शुक्ल लेश्या में पर्याप्त १ जीव के नाना समय में ט 7 सारे गुण स्थान १ गुग्ण अपने अपने स्थान वे प्रपने अपने स्थान सारे में ० बानना हे सारे गुरण ० गुण● वे कोई १ गुग्ण ० जानना एक जीव के एक समय में १ मंग ८ १ मंग १ मंग १ भंग को० नं० १६ देखो [को० नं० १६ देखो
SR No.090115
Book TitleChautis Sthan Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAadisagarmuni
PublisherUlfatrayji Jain Haryana
Publication Year1968
Total Pages874
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & Karm
File Size16 MB
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