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________________ चौतीस स्थान दर्शन २ केवल ज्ञान घटाकर शेष ज्ञान ७. केवल दर्शन विशेष दर्शन २. १. | नरकः गति बिना शेष बाय ४, ५. गणि लिन पीत लेश्या १ सयमा सम्म १ सराग संयमः १, मिघ्या दर्शन १. श्रसंयम १ प्रजान १ १, प्रसिद्धत्व १, परिणामिक भाव में, मे २८ भाव जानना 1 ३ क० नं० १७ के ३१२६-३०-३२ के हरेक मंग में ने पान म्या छोड़कर शेष ४ श्या घटाकर २६-२४-२५के नंग जानना २७-२५-२३-२४-२७ के मम को० नं०१७ के २९२७-२५-२६-२६ के हरेक मंग में से पद्मशुक्ल में २ लेश्या घटाकर २७-२५-२३-२४-२७ के भंग जानना (३) मनुष्य गति में ( ५५७ ) कोष्टक नं० ७७ सारे मंग २६-२४-२५-२६ के मंग को० नं० १८ देखो ००१० के ३१ २९-३०-३३ के हरेक भंग में से पीत लेन्या छोड़कर शेष लेश्या घटाकर २६-२४-२५- ६८ के भंग जानना २६-२६- २५-२६-२५२३-२४- २७ के मंग को० नं०१६ के २०३१-२७-३१-२७-२५२६-२६ के हरेक मंग ४ "1 १ मंग को० नं० १८ देखी ་ नियंत्र सनि नए सक बंद मयमागम १. ये ५ घटाकर (३३) (१) मनुष्य गति में २५- २०-२५ के को० नं० १० के ३०२०-३० के हरेक भंग में से पीत लेश्या छोट कर शेष ५ या पटा | कर २५-२३-२५ के भंग जानना भोग भूमि में यहां कोई भंग नहीं होते । कारण यहां पीत लेदया हो होती है 1 13 (२) देवगति में भवनषि देवों में यहां कोई भंग नहीं होते 1 पीत लेश्या में सारे मंग १० २५ का भंग सारे भंग १ भंग | को० नं० १० के २७ को० नं० १८ देखो को० नं० १८ देखी के हरेक भंग में से पद्म और शुक्ल लक्ष्या २ या बटाकर २५ | का भंग जानना ८ खारे भंग १ नंग क०० १८ देखी १ भंग
SR No.090115
Book TitleChautis Sthan Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAadisagarmuni
PublisherUlfatrayji Jain Haryana
Publication Year1968
Total Pages874
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & Karm
File Size16 MB
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