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________________ १ चोतोस स्थान दर्शन १८ सज्ञी १६ श्राहारक २.उपयोग २ आहारक, अनाहारक गंभी २१ ध्यान ज्ञानोपयोग दर्शनोपयोग ये ११० ) जानना शुक्ल ध्यान ४ घटकर (१२) 君の i (१) नियंत्र गति में १-१-१ के मंग को० नं० १७ देख २) मनुष्य गति में १.२ के मंग-को० नं० १८ देखी (३) देवगति में देखो तीनों गतियों में हरेक में १ आहारक जानना को० नं० १७.५५ ११ पेखो कोट०१ (१) निगि ५-०६-२-६-६ के भंगको० नं० १० देखी (5) मनुष्य म में ५-६-६-७-६-७-५-६-६ के भंग को० नं०१८ (३) देवमति से ५-१७ के भंग-को० नं० १९ १२ (१ तियंचगति में ६ ६ १०११-६-१० 1 ( ५५५ ) कोष्टक नं० ७७ ४ 1 | १ मंग १ अवस्था १ को० नं० १७ देवो! को० नं० १७ (१) मनुष्य पति में देखो १ का मंग-को० नं० १८ देखो (२) देवगति में १ का मंग-को० नं० १६ देखो १ १ भंग को० नं० १३ देखी ! 갗 १ भंग को० नं० १६ देखी १ १ उपयोग को० नं० १७ देखो मारे मंग १ उपयोग को० नं० १८ देवी को नं० १८ देखो ६ १ उपयोग को० नं० १९ देखो २ (१) मनुष्य गति में १-१-१ के मंग-को० नं० १० देखो (२) देवगति में १-१ के भंग-को० नं० १६ देखो पीत लेश्या में | १ मंग १२ १. ध्यान को० नं० १९७५ देखो [को० नं० १७देखो (१) मनुष्य गति में । ६-७-६ के मंग सारे भंग को० नं० १८ देखी को० नं० १६ देखो C कुअवधि ज्ञान १, मनः गय ज्ञान ? २ घटाकर (८) (१) मनुष्य गति में ४-६-६ के भंग को० नं० १८ देख (२) देवयनि में १ भंग ४-६ के भंग-फो० नं० [को० नं० १६ देखो १६ देख सारे भंग को० नं० १० देखो 怎 सारे भंग को० नं० १८ देखो ८ १ मवस्था को० नं० १ देखो को० नं० १६ देखो १ उपयोग को० नं० १८ देखो १ उपयोग को० नं० १६ देखो १ ध्यान को० नं० १८ देखो
SR No.090115
Book TitleChautis Sthan Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAadisagarmuni
PublisherUlfatrayji Jain Haryana
Publication Year1968
Total Pages874
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & Karm
File Size16 MB
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