SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 583
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ चौतोस स्थान दर्शन कोष्टक नं०७६ कापोत लेश्या में | 1------ - |- -- । १३.:: के भगवानमा । । नाम - --- - -.-. | को० नं. १७ के गुमान । । जानना मार भंग • भंग '(२) मनुष्य गति में नं. दंषो को न १८ ' ८-२६ . भंग-वी ' देतो | 40१ के ..२ के ! । पारेक भग' में गे कृग नील ये २ जदया हटाकर २८-२६ के जंग | जानना २५ का भंग-को- नं.। १८ के 10हे. भंग में। " कापीत वेश्या श्रोत-: कर दोष ५ नेण्या घटाकर २५ का भंग जानना । २४-२२-२५ के भंग- | . को० नं०१८ के ममाम । जानना (४) देवति में सारे भंग , भंग '२४-२२ के भंग-को० को नं. १६दयों न0 १६ . नं० १६ के २६-२४ के । देवा - हरेक भंग में से कृष्णा-। नील ये २ लेश्या घटा-। 'कर २४-२२ के मंग जानना
SR No.090115
Book TitleChautis Sthan Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAadisagarmuni
PublisherUlfatrayji Jain Haryana
Publication Year1968
Total Pages874
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & Karm
File Size16 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy