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________________ २४ अवगाहना-कोर नं. १६ में देखो। बंप प्रकृतियां-कोर न०१४ के समान जानना । उदय प्रकृतियां- " " " सत्व कृतियो- , , संख्या-मनन्सानात जानना । क्षेत्र-सबलोक जानना । स्पर्शन-सर्वलोक जानना। काल-नाना जीवों की अपेक्षा सर्वकाल जानना। एक जीच की अपेक्षा एक जीव की प्रपेक्षा अन्तर्मुहूर्त में वे नरक की रक्षा ३३ सागर प्रम. काल जानना . अन्तर-नाना जीवों की अपेक्षा कोई अन्तर नहीं। एक जीव को अपेक्षा अन्तम न ग साधिक ३ सागर प्रमाण काल तक कृष्ण या नोन लक्या न हो सके। यह सर्वार्थ सिद्धि की अपेक्षा जानना। जाति (योनि)--४ लाख योनि जानना । कुल-१६६ लाख कोटिफुल जानना ।
SR No.090115
Book TitleChautis Sthan Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAadisagarmuni
PublisherUlfatrayji Jain Haryana
Publication Year1968
Total Pages874
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & Karm
File Size16 MB
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