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________________ चौतीस स्थान दर्शन ( २६) कोप्टक नं. १ मिथ्यात्व गुण स्थान ( बगनि में ०४-२२ के भंग कोनं०१६ देखा तारे भंग १ भंग ७-5- के भग | -- को न याभगी में गे काम 14) देव गनि म . २४-२४-०३ भंग की नं दला मा भंग १ भंग '5--२ भंग के को० न. १ को भंगों में से कोई १२ नान सारे भंग ।मान मा भंग १ज्ञान कुमनि, नुक्षु नि, (१) नरफ गनि में को.नं. १६ देखो कोनं १ दधी अविमान घनाकार (२) को ना १६ देखा नं. १६ देखो कभवधि ज्ञान ये (1) ३ का मंग (E) कपि में। भंग नानाभन | (B) तिर्यत्र गति में को. २०१७ देखो को नं १७ वेला कॉल नं. हो । २-- के भंग (२) निधन नगि में १ मा ज्ञान को नं. १७ देखो सारे भग जान के भंग को देखो कोन० १७ देखो (३) मनुष्य गति में ० नं०१८ दखो कोन- १ नयाँ को० न०१७ देलो इ.३ के भंग ।(३) मनुष्य रवि | सारे भंन १ज्ञान को००१८ देखी | सारे भंग १जान २-२ भंग की नं० १८ देवो कोनं. १८ देखो ' (४) देव भनि में को नं. १६ देशो कोन०१६ घेतो पो नो । ३ का भंग (४) देवनि में सारे भंग ज्ञान का० .० १९ देखो २-२ के भग का .नं११ देखो कोनं०१६ देखा को न देतो नमा-यहां कुअवधि जान में मांग नहीं होना. (देगा मो०० गा० ३२३) १३ संयम असयम । (१) चारों गतियों में हरेक में (१) चारों गतियों में १प्रमंचम जानना वा० नं०१६ स १६ देखो १ संयम जानना का० नं०१६ ६ देग्यो। १४ दर्शन १ भंग । १ दर्शन । १ भंग १दन I(१) नरक गति में को.नं. १६ देखो कोनं०१६ देखो (१) नरत गति में मो० नं०१६ रो कोनं०१६ देखो चक्षु दर्शन ये (२) २का भंग | २ का अंग i को नं०१६ देसों | कोनं १६ देखो
SR No.090115
Book TitleChautis Sthan Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAadisagarmuni
PublisherUlfatrayji Jain Haryana
Publication Year1968
Total Pages874
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & Karm
File Size16 MB
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