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चौंतीस स्थान दर्शन
कोष्टक नं०७३
अवधि दर्शन में
(४) देवगति में ' ... सारे भंग
भंग | को.नं. १९ देतो ४१-४०-४० के मंगको .नं०१६ देखो कोनं०१६ देखो कारून- १६ देखो
२३ भाव
सारे भंग
. सारे भंग १ भंग उपशम मारणत्व,
रक गति में
को.नं.१६ देसो कोनं०१६ देखो उपशम चारित्र १, उपशम चारित्र १, २३-२६--२५ के भंग ।
क्षायिक चारित्र १. सायिक मम्यक्त्व १, | को० नं०१६ के २५
मनः पर्यय जान १, शायिक चारित्र १. २-२७ के हरेक भग
स्त्री वेद १ ये४ जान 1, अवधि दर्शन १ में से प्रचक्षु दर्शन, चक्षु
घटाकर (३५) नधि ५, वेद सम्यक्त्व | दर्शन ये घटाकर
(१) नरक गति में सारे भंग १ भंग १, संयमा मवम, २३-२६-२५ के भंग
२५ का भंग
को.नं. १६ देखो की.नं.१६ देखो सराग संयम १, जानना
को० नं०१६ के २७ के । गति ४, कषाय ४, (२) तिर्वच गति में।
सारे भंग १ भंग अंगों में से प्रचक्षु दर्शन सिंग ३, लेश्या ६.
३०-७-२७ के भंग को नं० १७ देखों को नं०१७ देखी, चक्षु दर्शन, ये २ घटाअसंयम १, प्रज्ञान को.नं. १ के ३२
क्र. २५ का भंग जानना प्रसिद्धत्व १, २१-२६ के हरेक अंग
(२)तियंच गति में सारे भंग १ भंग जीवत्व १. मत्र्यत्व १, । में से अचा-चक्ष दर्शन |
भोग भूमि की अपेक्षा को नं०१७ देखो कोन०१७ देखो ए ३६ जानना ये २ घटाकर ३०-२७- |
| २३ का भंग २७ के भंग जानना
को नं०१. के २५ (३) मनुष्य गति में
सारे भंग
भंग भंग में में प्रवक्ष दर्शन, २८-३१-२८-२९-२५- को नं.१८ देखो को.नं. १८ देखा चक्षु ददान ये२ घटाकर २६-२७-२७-६-२५- |
| २३ का मंग जानना २४-२६-३२-२१-२१
| (३) मनुष्य गति में मारे भंग १ भंग 18-१-२४-२७
----०६-२३ के भंग को० नं० १८ देवा मो.नं०१८ देखो के भंग
को नं०१.के .को नं०१८के -
२७-५के हरेक भंग मे मे पातवम् प्रचक्षु ।