SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 553
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ "चौंतीस स्थान दर्शन कोष्टक नं०७३ अवधि दर्शन में --- को० नं०१७ देखो कोन. १७ देग्दो (३) मनुष्य गति में मारे भंग १ नंयम (३) मनुष्य गति में 1-1-1-1-३-२-१-१-१ के | को० न०१८ देषों को२०१८ १-२-१ के मंग भंग-को००१८ देखो। । को.न. १ देखा भंग भंग १मयम को नं. १८ देवो कोन.१५ देखो १४ दर्शन १५ लेश्या को० नं. १ देखी चारों गतियों में हरेक में चागें गलियों में-हरेक में १ बांध वर्ग जानना १ अवधि दर्जन जानना मंगलया । १भग १लेश्या (१) नरक गति में को० नं०१६ देयो को नं.१ (१) नरक गति में को०० १६ देखो को.नं. १५ ३ का भंग-को नं०१६ | देखो ३ का भंग-को नंग देखो देखो (२) तिथंच गनि में मंग ले श्या (२) निर्यच गति में १ भंग १ लेश्या ६-३-३ के मंन-को० नं. को न०१७ देखो । को० नं०१७ | भोगनुमि की अपेक्षाको नं०१३ देखो | को.नं.१७ १७ देखा | का भग-को० नं०१७ देखो (३) मनुष्य गति में सारे भंग । लेश्या देखो। ६-३-३-३ के भंग-को को.नं. १८ देवी का नं.१% (३) मनुष्य पनि म | सारे भंग १ लेश्या नं.१८ देखो ६-१-१ के भंग-को नं० को० म०१देखो को नं. १ | (४) देवगति मे १ भंग । १लेल्या १८ देखो। १-22, - मंग-का० को न देखो' को न० १६ १४) देवनि में । नं. १६देवो दखा ३-१-२ के भग-को० नं. को नं०१३ देखो को ना १६ १६ देखो देखो देखो देखो १६ भव्यत्य भव्य १७ सम्यक्व उपगम सायिक- क्षयोगम। ये ( २ नागें गनियों में हरेक में १ भव्य जानना को नं. १६ मे १६ देखो ३ १) नरक गति में १ -३-२ के भंग-को नं. चार्ग मतियों में हरेक में | १ भव्य जानना को० नं०१६ मे १६ देख ३ मारे भंग | १ सम्यक्त्व (१) नरक गति में को.नं. १६ देखो | को० नं० १६ २ का भंग-को० नं0 | मारेभंग १ सम्यक्त्व को.नं. १६ देखा कोन०१५ देखो
SR No.090115
Book TitleChautis Sthan Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAadisagarmuni
PublisherUlfatrayji Jain Haryana
Publication Year1968
Total Pages874
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & Karm
File Size16 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy