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________________ पाँतीस स्थान दर्शन कोष्टक नं०७१ अचक्षु दर्शन में २१के मंग में से पर्याप्तवत । शेष १ दर्शन घटाकर . २२-२० केभंग जानमा २४-२४ के भंग | को.नं. १६ के २६-२ के हरेक मंग में में पर्याप्तवत् शेप २ दर्शन घटाकर २४-२४ के भंग : जानना के समान शेष २ दर्शन घटाकर २२-२४ के भंग जानना २६-२४ को.नं. १६ के २७-२५ के | हरेक भंग में से अपर के समान शेष १.दर्शन घटाकर २६-२४ के भंग जानना २४-२७ के भंग को० नं०१६ के २६.२६ हरेक मंग में से ऊपर के समान शेष २ दर्शन घटाकर २४.२७ के भंग जानना २३-२१ के भंग को.नं. १६ के २४-२२ के हरेक मंग में में ऊपर के समान शेष । दर्शन | घटाकर २३-२१ के भंग । जानना २२-२४-३ के भंग ना० नं. १६ के २३. २६.०५ के हरेक भंग में । में ऊपर के समान मेष वर्णन घटाकर २१.२४-०। के मंग जानना
SR No.090115
Book TitleChautis Sthan Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAadisagarmuni
PublisherUlfatrayji Jain Haryana
Publication Year1968
Total Pages874
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & Karm
File Size16 MB
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