SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 515
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ पोलीस स्थान दर्शन १ ११ गाय राज्याम हारादिनोदय ६ १, (११) १२ जान मनि श्रुत- अविज्ञात ये जानना १३ संयम १४ दर्शन चक्षु-चक्षु अवधिदर्शन १५ व्या ११ शुभ दिया जागना १६ भव्यश्व १७ सम्यक्स्व क्षायिक, क्षयोपशम ये २ सम्यक् जालना १८ संजी (१) T ३ को० नं०१८ के ३ के मंग में से स्त्री-नपुंसक वेद से २ घटाकर १ जना | ११ पति में ११ का भंग को० नं० १८ के १३ में भंग में से श्री-नए सक वे ये २ घटाकर ११ का भंग जानदा ( x => } कोष्टक २०६७ (१) मनुष्य गति में का भंग कोरनं०] १८ के ४ के भंग में मे मनः पर्यय ज्ञान बटाकर ३ का भंग जानना १ परिहार विशुद्धि संयम जानना (१) मनुष्य गति में ३ का भग कोनं १८ देखी (1) मनुष्य गति में ३ का भंग को० नं० १८ देखो १ भव्य जानना (?) मनुष्य गति में २ का भग को० नं० १० के ३ के भंग में सम्यक्त्व घटाकर २ का मंग जानना १ राजी जानना उपशम ४ सारे भंग को० नं० १० देख सारे भंग को० नं० १८ देखी १ मारे भंग को० नं० १८ देखी मारे मंग [को० नं० १८ देखो सारे मंग को० नं० १८ देखो परिहार विद्धि संयम में ९ भं : | को० नं० १८ देख १ जान कोनं. १८ दे १ दर्शन को० नं० १८ देख १ या कोनं १८ देख , १ १ सम्यक्त्व को० नं० १८ देखो १ 5-5-3
SR No.090115
Book TitleChautis Sthan Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAadisagarmuni
PublisherUlfatrayji Jain Haryana
Publication Year1968
Total Pages874
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & Karm
File Size16 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy