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________________ चौतीस स्थान दर्शन कोष्टक नं०६४ असंयम में काय काय को.नं.१ देखो (१) नरक-मनुध्य-देव गति में कोन०१-१८- कोनं०१६-१८-(१) नरक-मनुप्य-देव गति को० नं०१६-१-कोनं०१६-१हरेक में देखो देखो । में हरक में । १६ देखा १६ देखो १ त्रसकाय जानना १ सकाय जानना कोनं० १६-१८-१६ देखो | कान १६-१... (२) तिर्यंच गति में १काय काय दलो ६-१-१ के भंग को .नं. १७ देखा कोनं०१७ देखो । तिर्यच गति में । को.नं. १७ देवो ... के मंग कोन १७ देखा कान०१७ देखो १ योग १ भंग १ योग प्रा. मिषकाययोग, यो मिश्रकामयोग १, ग्रौल कायबांग, माहारक काययोग : 4. मिश्रकाययोग १, वै. काययोग १, ये २ पटाकर (१३) कारिण काययोग १ काणि कायवोम १ ये ३ घटाकर (१०) ३ योग जानना १) नरक-मनुष्य-देवगति में कोनं०१६-१- कोनं०१६-१८. (१) नरक-निर्यच-मनुष्य वीमा १६ से १६ को० नं०१६ से १६ खो देखो देवगनि गति में दखो । १६ देखो ६ का भंग हरेक में कोन०१६-१-१६ देखो (२) तिर्वच गति में ग यांग काळनं. १६१९ देखों, ह-२-१-६ के भंग का नं. १७ दवा काल्ना देखा को० न०१७ देखो १० वेर को.नं.! देला (१) नरक गति में १२सक वेद जानना को० नं०१६ देखो (२) नियंच गति में ३-१-३-२ के भंग को० नं०१७ देखो १ भगवंद को न देत्री को १६ देखो (१) नरक गति में को.नं.१६ देखो कोनं १६ देखो १ नएम रद जानना को-२०१६ दखो १ भंग वेद निर्वच गति मे १ भंग १ वेद को न०१७ देखो कोनं. १७ देखो १-३-...-२-१ के भंगको न०१७ देखो कोनं०१७ देखो कोनं १७ देखो
SR No.090115
Book TitleChautis Sthan Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAadisagarmuni
PublisherUlfatrayji Jain Haryana
Publication Year1968
Total Pages874
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & Karm
File Size16 MB
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