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सूचना-यहां मनोयोग नहीं होता है उपचार से कहा गया है। परमाहना- हाथ में ५२५ धनुष तक जानना । बंध प्रकृतियाँ-११३ गुराण में । माता वेदनीय का बन्ध जानना, १४वे गुग्ग में पबन्ध जामना । उदय प्रकृतियां-१२, १२, को० न०१३ और १४ देको। सश्व प्रतियां-५-५-१९ संख्या- (६८५०२), ५६८ को.नं.१६१४ को। क्षेत्रलोक का प्रस्थानी भाग स्पर्शन-" ." काल मचाफ जानना। अन्तर-कोई अन्तर नहीं। झाति (योनि। १ लाम्म योनि मनुष्य की जानना । कुल-१४ लाम्य कोटिकुल मनुष्य की जानना ।