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________________ १२ जान चौतीस स्थान दर्शन ६ कौ० मं० ५२ देखो १३ संयम २ असंयम, संयमः संयम मे (२) ३ (४) देव गति में २१- १७-२०-१६-१६ के मंग को० नं० १६ के २४२०-२३-१६-१६ के हरफ गंगों में से ऊपर के समान प्रत्याख्यान कषाय ३ घटा१९७२-११-१६ के भय जानना (१) नरक गति में ३. के भंग को० नं० १६ देखो (२) तिर्वच गति में २-३-३-३-३ के भंग को० नं०] १७ देख (२) मनुष्य गति में ३-३-३-३ के भंग को० नं० १८ देखो (४) देव गति में ३-३ के भग को० नं० १६ देखी १ रुप $ T सारे मंग (४) देवगति में को० नं० १६ देखो कोनं १६ देखो २१-२१-२६-२०० १६ के मंग को० न० १० के २४। २४-१६-२३-१६६६ के हरेक भंग में से पर्याप्त। वन प्रत्याख्यान कपाय घटाकर २१-२१-१३१६-१६ के भंग जानना ( ३७८ ) कोष्टक नं० ५३ ४ ! सारे मंग | १ शान ५ को० नं०] १६ देवी को० नं० १६ देखो! अवधि ज्ञान घटाकर १ मंग को० नं० १७ देखो 1 नारे भंन को० नं० १८ देखो सारे मंग को० नं० १६ देखो २ (१) नरक - देवगति में हरेक में 1 १ अमयम जानना को० नं० १६-१६ देखो 2 (१) नरक गति मे २-३ के भंग को० नं० १६ देखो (२) तिच गति में २-२-३ के भंग | को० नं० १३ देखो (३) मनुष्य गति में १ ज्ञान का०नं ७ १७ देना I १ ज्ञान को० नं० १० देखो I १ जान का०नं २ | १ संयम १ भंग कोनं० १६-१६ को ० नं०१६देखो १६ देखो (x) २- ३-२-३ के भंग को० नं० १८ देखी (४) देवगति में देखा' । । २-२-३-३ के मंग | को० नं० १६ देखी प्रत्याख्यान ४ कषायों में मारे मंग भंग को० नं० १६ देखो को०० १६ देखो : सारे भंग | को० नं० १६ देखी को० नं० १६ देखो I १ मंग [को० नं० १७ देखो ज्ञान ? चारों गतियों में हरेक में १ प्रसयम जानना 1 को० नं० ६ से १६ देखी १ ज्ञान को० नं० १७ देखो १ ज्ञान तारे मंग को० नं० १८ देखो को० नं० १८ देखो I सारे भंग १ ज्ञान को० न० १६ देखो को० नं० १६ देखो १ १. को० नं० १६ से १६ को० नं० १६ से देखो १६ देखो
SR No.090115
Book TitleChautis Sthan Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAadisagarmuni
PublisherUlfatrayji Jain Haryana
Publication Year1968
Total Pages874
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & Karm
File Size16 MB
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