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चौंतीस स्थान दर्शन
कोष्टक नं० ४६
नपुंसक वेद में
१ नंग
१लेश्या
को नं १७ देखो
को० नं०१७ देखो (३) मनुष्य गति में सारे भंग १दर्शन (३) मनुष्य गति में
- सारे अंग १र्वान २-३-३-३ के मंग | २-३-३-३ के मंग कोनं०१५ देखी २ का मंग
को० नं०१५ देखो को००१ देखो को० नं०१८ देखो को० नं०१५ देखो।
को० नं०१८ देखो १५ लेक्या
१ भंग १लेश्या । को० नं. १ देखो (1) नरक गति में J ३ का भंग के भंगों में से (१) नरक गति में ३ का भंग पर्याप्तवत जानना ३ का भग
कोई १ लेक्ष्या | 2 का भंग
को.नं.१६ देखो कोनं०१६ देखो कोनं०१६ के समान
को० नं०१६ देखो (२) तिर्यव गति में १ भंग १लेश्या (२) तियंच गति में
१ भंग १ सेक्ष्या ३-६-३ के भंग को० नं. १७ देसो कोनं०१७ देखो ३ का में
| ३ का मंग३ में से कोई को.नं. १७ देखो
| को.नं. १७ देखो को.नं. १७ देखो | तेश्या
को नं०१७ देखो (३) मनुष्य गति में | सारे भंग १ लेश्या (३) मनुष्य गति में | सारे भंग १लेश्या ६-३-१ के भंग को.नं. १८ देखो कोनं०१८ देखो ६ का भंग
को० नं०१८ देखो को.नं.१८ देखो को नं० १८ देखो
को नं. १८ देखो १६ भव्यत्व
२ १भंग १यवस्था
१ भंग १ अवस्था मव्य, प्रमट्य । तीनो गतियों में रैक में को० नं०१६-१७- कोने०१६-१७-बीनों गलियों में हरेक में को० नं०१६-१७. कोनं०१६-१७. २-१ के मंग
१८ देखो १८ देतो २-१ के अंग को.नं. १५ दखो १० देखो को० नं०१६-१७-१८ देखो
१६-१७-१८ के समान | सारे भग १सम्यस्त्व
| सारे भंग १सम्यक्त्व को० नं०१६ देखो (१) नरक गति में
को.नं०१६ देखो कोनं० १६ वेखो मिश्र और उपशम मा १-१-१३-२ के भंग
1 २ घटाकर (४) को० न०१६ देखो
(१) नरक गति में को.नं. १६ देखो को.नं.१६ देखो (२) तिर्मन गति में
गंग १सम्यक्त्व | १-२ के मंग १-१-१-२ के मंग
कोनं १७ देखो कोन-१७ देखो को नं०१६देखो को००१७ देखो
(२) तिर्यंच गति में | १मंग १ सम्यक्त्व (३) मनुष्य गति में । सारे भंग । सम्यक्त्व के अंग
को० नं. १७ देखो कोनं०१७ देखो १-१-१-३-३-३-२के भंग को.नं०१८ देखो कोनं०१८देखो को. नं. ७देखो को० नं०१८ देखो
(३) मनुष्य गति में
- सारे भंग १ सम्यक्त्व ।१-१ के भंग कोन०१८ देखो को००१ देको