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________________ चौतीस स्थान दर्शन कोष्टक नं० ४८ .. स्त्री वेद में.. ... ४३ के भावों में से मनः पर्यय ज्ञान १, घटाकर ४२ जानना जानना देवति, कपाध,। २५-२६-२७-२८-३०-३३ के सारे भंग जानना । के भंगों में से । स्त्रीलिंग १, लेश्या ६, सारे भंग जानना । के भंगों में से भंग और भोग भूमि में की न०१७ देखो | कोई १ मंग मिथ्या दर्शन १, अनंयमर/ कोई १ भंग २६.२४-२५-२६ भंग को | जानना अज्ञात १, प्रसिद्धत्व १,! नं. ४७ के समान जानना। कोनं०१७ देखो पारिणामिक भाव । । परन्तु यहां स्त्रीवेद की जगह ! सारे भंग १ भंग लब्धि ,ये (३०) पुरुषवैर घटाना चाहिये को.नं. १८ देखो को नं०१८ देखो (१) तिथंच गति में सारे भंग । १ भंग (२) मनुष्य गति में कर्म भूमि में २५-२५-२३-२३ के भंग को नं०१७ देखो को०नं०१७ देखो को.नं.१७के तमान २७-२७ के मंग को० नं०४७. | परन्तु यहां पी वैद की। समान जोनना परन्तु यहां । जगह पुरुषवेद घरानाचाहिये स्त्रीवेद की जगह पुरुषवेद । | भोग भूमि में घटाना चाहिए | २३-२१ के भंग कोन भोग भूमि में ४७के समान परन्तु यहाँ २६-२४-२५-२८ के भंग को स्त्रीवेद की जगह पुरुषवेद नं. ४७ के समान जानना घटाना चाहिये परन्तु यहां स्त्री वेद की जगह। सारे भंग १अंग (२) मनुष्य गति में सारे भंग । । मंग पुरुष वेद घटाना चाहिये को.नं.१६ देखो कोने-१६ देखो २५-२३ के भंग कोनं को नं०१५ देखो कोन०१५ देखो (३। देद गति में ४७ के समान परन्तु यहाँ । २४-२२-१३-२५-२६-२५-। स्त्रीवेद की जगह पुरुषवेद २५-२८ के भंग कोन०४७ घटाना चाहिये के समान जानना परन्तु यहां भोग भूमि में स्त्रीवेद को जमह पुरुषवेद २३-२१ के भंग को नं घटाना चाहिये ४७ के समान परन्नु यहां स्त्रीचंद की जगह पुष्पवेद घटाना चाहिये (३) देव गति में । २५-२३-२५-२३ के भंग ] कोनं. ४७ के समान | परन्तु यहां स्त्रीवेद की जगह । पुरुषवेद चटाना चाहिये ।
SR No.090115
Book TitleChautis Sthan Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAadisagarmuni
PublisherUlfatrayji Jain Haryana
Publication Year1968
Total Pages874
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & Karm
File Size16 MB
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