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________________ चौतीस स्थान दर्शन । ३२४ ) कोष्टक नं. ४७ ४ । ५ पुरुष वेद में ४३ के हरेक अंग में से स्त्री ३३-४२-३७-३३.३३ के ! बेद घटाकर ४१-४४- - अंग का नं १६ के ४० के भंग जानना समान जानना ४६-४४-४०.४० के भग मूचना-भक्नविरुदयों में . को०१७के समान से २३ का भंग नहीं जानना होता। २३ भाव सारे भंग १ भंग मारे अंग उपशम सम्यक्त्व १, । (१) तियं च गति में अपने अपने स्थान के अपने अपने स्थान उपशम चारित्र १, अपने अपने स्थान के अपने अपने स्थान उपशम चारित्र १, । २५-२६-२७-२८-३०-२० । सारे मंग जानना | के भंगों में से | क्षायिक चारित्र १, सारे भंग जानना । के मंगों में से क्षायिक सम्यक्त्व : के भंग को० नं. १७ के कोन०१७ देखो | कोई १ मंग | मयमासंयम, कोई मंग सायिक चारित्र १, । २७-३१-२६-३०-१२-२६ कोनं०१७ देखो| मनः पर्यय ज्ञान , क्षयोपशम भाव १८, के हरेक मंग में से स्त्री कुभवधि जान? तियं चन्देव-मनुष्य गति । नपुंसक वेद ये २ घटाकर य ५ घटाकर (३८) ६, कयाय ४ पुरुष लिंग २५-२६-२७-२८-३०-२७ (१) तिर्यच गति में सारे भंग १ भंग १. लेझ्या ६, मिथ्या- । के भंग जामना २५-२५-२३-२३ के भंग को००१७ देखो को नं०१७ देखो दर्शन १, असंयम १, । भोग भूमि में को न०१७ के २७ मशान १, प्रसिद्धत्व १. २५-२५-२५-२८ के भंग २७-२५-२५ के हरेक पारिवारिक भाव ३, को० नं०१७ के २७-२५ भग मे से स्त्री नपुसक ये ४३ भाव जानना २६-२४ के हरेक मंग में देद ये २ घटाकर २५- । से स्त्री वेद घटाकर - २५-२७-२३ के भग २४-२५-२८ के भंग जानना जानना भाम भूमि में (२) मनुष्य गति में । सारे भंग १ भंग २३.२१ के मंग २६-२७-२८-३१-२८-२९ को.नं. १५ देखो कोनं०१५ देखो को न०१७ के २४के भंग को० नं० १८ के २२ के हरेक के भंग में ३१-२६-३०-३३-३०-३१ से स्त्री वेद घटाकर के हरेक भंग में से स्त्री २३-२१ के भंग जानना वेद, नपुंसक वेद ये २५ का भंग को० नं. घटाकर २६-२७-२८-३१-1 १७ के समान जानना २८-२९ के मंग जानना ।
SR No.090115
Book TitleChautis Sthan Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAadisagarmuni
PublisherUlfatrayji Jain Haryana
Publication Year1968
Total Pages874
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & Karm
File Size16 MB
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