________________
कोष्टक नम्बर ४५
कारण काय योग में
चौंतीस स्थान दर्शन १ । २ ।
३.४-५
सारे भंग
को० नं० १८ देखो
१ मंग को. नं०१८ देखो
भोग मूमि में १ले रे ये गुण में २४-२२-२५ के भंग को.नं. १७ देखो (३) मनुष्य गति में १ले २रे ४थे १३वे एरण में ३०-२८-३०-१४ के भंग को.नं. १८ के समान जानना भोग भूमि में १-२-४ये गुण में २४-२२-२५ के भंग को० नं०१८ देखो
४) देव गति में १-२-४थे गुण में २६-२४-१-२६-२४-२५-२३-२१-२६-२६ के मंग को.न. १ के समान जानना
सारे भंग को० नं.१६ देखो
को नं. १६ देख