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________________ t चौतीस स्थान दर्शन २ १ ध्यान १० ध्यान ४ रौद्रध्यान ४, आज्ञाविचय १, सूक्ष्म क्रिया प्रतिपाति १ ये १० जानना २ मानव ४३ मिथ्यात्व ४, अविरत १२, कषाय २५, कार्पारण काययोग १ ये ४३ जानना ३-४-५ ( ३०८ ) कोटक नं० ४५ (४) देव्यनि में ४-०-६-६ के भंग कां० नं० १६ देखो (१) नरक गति में ८- के भंग का० नं० १६ देखी (२) तिर्यच गति में ८-८-६ के भंग को० नं० १७ देखी (३) मनुष्य गति में ८-६९८-९ के भंग को० नं० १० देखो (४) देवगति में के मंग को० नं० १६ देखी ४३ (१) नरक गति में १ले ४ये गुण० में ४१-३२ के भंग को० नं० १६ के ४२-३३ के हरेक भंग में से वं० मिथकाययोग १ घटाकर ४१-३२ के भंग (२) तिच गति में । १ ले गुण स्थान में ३६-३०-३८-३९-४२-४३ के मंग को० नं० १७ के ३७-३८-३९-४०-४३-४४ के हरेक मंग में से औ० मिश्रकामयोग १ घटाकर ३६-३७-३८३६-४२-४३ के मंग जानना २ रे गु० में ३१-३२-३३-३४-३७-२० के मंग को० नं० १७. के ३२-३६-३४-३५-३८-३६ के हरेक मंग में से भौ० मिश्रकाययोग १ घटाकर ३१-३२-३३ ३४-३७-३८ के भंग जानना ४था गुण स्थान यहां नहीं होता भोगभूमि में १ले २२ से ४ o में गुम्पु० कार्मारण काय योग में १ भंग को० नं० १६ देखो सारं भंग को० नं० १६ देखो १ मंग को० नं० १७ देखो सारे मंग को० नं० १० देसो सारे मंग को० नं०] १६ देखो सारे भंग अपने अपने स्थान के सारे भंग जानना १ उपयोग को० नं० १६ देखो १ ध्यान को० नं० १६ देखो १ ध्यान को० नं० १७ देखो १ ध्यान को० नं० १८ देखो १ ध्यान को० नं० १६ देखो १ मंच अपने अपने स्थान के सारे भंगों में से कोई १ भंग जानना
SR No.090115
Book TitleChautis Sthan Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAadisagarmuni
PublisherUlfatrayji Jain Haryana
Publication Year1968
Total Pages874
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & Karm
File Size16 MB
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