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________________ चौंतीस स्थान दर्शन ( २९१ ) कोष्टक नं. ४२ वक्रियिक काय योग में (२) देत गति में २-३के भंग को.नं.१६ देखो १ मंग १ दर्शन को नं०१६ देसो को नं० १६ देखो १लेश्या को नं० १६ देखो . को० नं०१६ देखो को० नं० १ देखो | (१) नरक गति में : का भंग को० न०१६ देखो (२) देव गति में १-३-१-१ के मंग को नं. १६ देखो १ भंग को नं०१६ देखो १ भंग को० नंक १८ देखो १लेश्या को० नं १६ देखो १ अस्था को नं. १६ देखो १६ व्यत्व भब्ध, अभव्य (1) रक गति में २-१ के भंग को० नं०१६ देखो (२) देव ति में -१ के मंग को० नं०१६ देखो १ भंग कोन०१६ देवो मार भंग को नं०१६ देबो १अवस्था कोन०१६देको १ सम्यक्त्व को.नं०१५ देखो १७ सम्यक्त्व को.नं. १६ देखो (१) नरक गति में १-१-१-३-- के भय को न०१६ देखो (२) देव मनि में १-१-१-२-३-२ के भंग को नं० १९ देखो ___ यारे भंग को नं०१६ देखो सम्यक्त्व को नं.१६ देखो १- संजी मंजी नं०१६-१९ देखो को नं०१६-१६ देखो (१) नरक और देवनि में हरेक में १ मंजी जानना को० नं. १६-१६ देखो १६ पाहारक माहारक । को० नं १६-१६ देवो को.नं.१६-१६ देखो (१) नरक और देव गति में हक में १पाहारक जानना को० नं. १५-१६ देखो २. उपयोग को० नं.१६ देखो (१) नरक और देव गति में हरेक में ५-६-६ के भंग को० न०१६-१७ देखा | को० नं० मंग १ उपयोग -११ देखो 'को० नं०१६-१६ देखो २१ ध्यान को.नं.१६ देखा (१) नरक और देव गति में हरेक में । E-६-१०के भंग को नं०१६-१९ देखो सारे भंग । ध्यान को० ने०१६-१८ देखी। को० ०१५-१६ देखो
SR No.090115
Book TitleChautis Sthan Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAadisagarmuni
PublisherUlfatrayji Jain Haryana
Publication Year1968
Total Pages874
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & Karm
File Size16 MB
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