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________________ १ चौतीस स्थान दर्शन १० वेद ६ योग असत्यमनोयोग पा उभय वचनयोग जानना को० नं० १ देखो ११ कषाय १२ जान २५ को० नं० १ देखो २ ७ केवल ज्ञान १ घटाकर शेष ७ ज्ञान जागना १३ संयम ७ को० नं० २६ देखो १४ दर्शन केवल दर्शन १ घटाकर १५ देश्या १६ व को० नं० २६ देखी (३) ३ भव्य, अभव्य ६ ( २६७ ) je चारों गतियों में हरेक में दोनों योगों में से कोई १ योग जिसका विचार करना हो वो एक योग जानना 글 चारों गतियों में हरेक में फो० नं० २६ के समान भंग जानना २५ चारों गतियों में हरेक में को० नं० -६ के समान मग जानना ७ चारों गतियों में हरेक में को० नं० २६ के समान रंग जानना ३ चारोगनियों में हरेक में को० नं २६ के समान भंग जानना ३ चारों गतियों में हरेक में को० नं० २६ के समान भंग जानना चारों गतियों में हरेक में को० नं० २६ के समान भंग जानना चारों गतिमा में हरेक में . ४ १ भंग अपने अपने स्थान के भंगों में से कोई भंन दोनों में से कोई १ योग दो में से कोई १ योग सारे भंग अपने अपने स्थान के सारे भंग जानना को० नं० १८ देखी सारे भंग अपने अपने स्थान के सारे अंग जानना सारे मंग अपने अपने स्थान के सारे भंग जानना रेमंग सपने अपने स्थान सारे भंग जानना १ भंग अपने अपने स्थान के भगों में से कोई १ भंग योग या उभय वचनयोग में ६-६-८ १ मंग अपने अपने स्थान के ५ १ वेद अपने अपने स्वान के भंगों में ये कोई १ वेद जानना १ भंग अपने अपने स्थान के सारे भंगों में से कोई १ भंग जानना १ जान T अपने अपने स्थान के | मंगों में से कोई १ ज्ञान जानना १ संयम अपने अपने स्थान के ! मंगों में से कोई १ संयम जानना १दर्शन रूपने अपने स्थान के भंगों में से कोई १ दर्शन जानना १ लेश्या | अपने अपने स्थान के भंगों में से कोई १ दर्शन जानना १ अवस्था अपने अपने स्थान के
SR No.090115
Book TitleChautis Sthan Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAadisagarmuni
PublisherUlfatrayji Jain Haryana
Publication Year1968
Total Pages874
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & Karm
File Size16 MB
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