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। २४ ) कोष्टक नं०३३
चौंतीस स्थान दर्शन
त्रसकायिक जीवों में । ।
।
(२) निर्यच ननि में
२४-२५-२७-११-२६-३०३२-२४ के भंग को 10.
१७ के समान जानना (३) मनुष्य यति में
२१-२६-३०-३३-३०-३१२७-३१-२६-२६-२८-२७. २६-२५-२४-२३-२-२१२०-१४-१३ के मग को.नं. १% के समान ।
जानना | (४) देव गति में २५-२३-२४-२६-२७-२५
81-72-02-२६०५के भंग को.नं.१६
के समान जानना (५) भोग भूमि
२७-२५-२६-२६ के भंग को० न०१७-१८ के। समान हरेक में जानना
(२) निर्यव गति में २४-२५-२७-२७-२२-२३२५-२५- का भंग को नं. ।१" के समान जानना (३) मनुष्य गति में २०-२८-३०-२१-१४ के भंग की. नं०१८ के समान जानना (स) देव गति २६-२४-२६-२४-२८-२३२१-२६-२६ के अंग को १६ के समान बानना (५) भोग भूमि में २४ २२-२५ के भंग को० नं०१७-१८ के समान हरेक में जानता