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________________ चौंतास स्थान दर्शन कोप्टक नम्बर २५ असंज्ञी पंचेन्द्रिय न्द्रिय जात ने गुरगम १ भान्धवानि न गुगण में पत्रमा गगामें १५.न्द्रिय जानि ने गुग में १ प्रमकाय ८.1य का भंग ? यांग के भंगों में ये कोई ? योग का नं० २२ देखो , मंगयोग १-२ क भंगों में मे १-२ के भंगों में से कोई भय में कोई १ योग तीनों बद जानना तीनों वेदों में से ले रे गुण में कोई । वेद तीनो वेद जानना जानना कानं०१७ के समान सारे भंग १मंग २५ ७-६-8 के भन ७-८-के अंगों ले रे गुगार में का० न०१-देखो में से कोई १ भंग २५ का मग पर्याप्तवत् ३ का भंग तीनों वेदों में से कोई १ देद । जानना सारे भंग भंग . १ ३२ गुग में 8-4-1 के मंगों ७-८-1 के मंग में से कोई १ | भंग को न०२२ देखा २का भग कार नं.१३ .केमभान जानना १. बंद को० नंदी से नग० मे : का भंग कार नं० के सुमाम जानना ११ कपाय ". कांनं.१ दख एन गुग में ५ का भग का नं०१७ के समान जानना १२ ज्ञान कुमनि, कुयुत न गुण में २ का भंग को नं. १७ के नमान ने गुरग. में གཞཀཱ་ १. संयम १४ दर्शन चक्षु-चन दर्शन १ले गुण में २दा भग कोल्न०१७ के समान जानना १५ वेश्या अशुभ लेश्या ले गुण में ३ का भंग को० नं०१७ के रामान जानना १ मंग २ का मंग २ का मंग २ केभंगों में से कोई ज्ञान | जानना १ भंग २ का भंग के अंगों में से ले रे गुगा मैं कोई१ शान २ का भंग को० नं०१७ के समान जानना २२रे गुग्गल में १ असंयम १दर्कग २ २ के भंग में से १ले २रे गुण में कोई १ दान | २ का भग पर्यावत् जानना १ लेश्या ३ के भंग में से ले रे गुण में । कोई १ लेश्या ३ का मंग को.नं. १७ | समान जानना २का मंग १ दर्शन के भंगों में से | कोई १ मंग जानना लेश्या ३के मंगों में से कोई १ लेश्या १ भंग ३का मंग ३ का मंग
SR No.090115
Book TitleChautis Sthan Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAadisagarmuni
PublisherUlfatrayji Jain Haryana
Publication Year1968
Total Pages874
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & Karm
File Size16 MB
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