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________________ चौतीस स्थान दर्शन कोष्टक नम्बर २३ त्रीन्द्रिय १० बंद ७ इन्द्रिय जाति • गुग में १ले रे गुरण में मीनिय जान श्रीन्द्रिय जाति ८ काय १ १से गुग में इले २रे गुगण में १ चमकाय पसकाय मंग के अंगों में से १मंग योग को न०५२ देसी ल मुरा० में २ का भंग कोई १ योग प्रो० मिय कापयोग १ १-२ भंगों में से १२ के अंगों में मो० काययोग जानना कारण काययोन १ से कोई १ भंग में कोई १ योग अनुभव वचन यांग ? से२जानना जानना ये जानना को नं.१७ के मंग के ममान जानना १ने रे गा में को०२० २१ देखो १ले गुण. में १ १ले २रे गुरम में नायक वेद १ नमक वेद ११कषाव २६ सारे मंगभंग २३ सारे भंग १ मंग को नं. २१देखो १ले गुग्ण में ७-८-के मंग -4-6 के भंगों ले रे गुण. में ७-८-६ के भंग ७-८-६ के मंगों २३ का भंग को नं०१७ के को.नं. १८देखो में से कोई १ भंग २३ का भंग पर्याप्तवत् । पर्याप्तवत् में से कोई १ समान जानना । मंग जानना १२ ज्ञान १ भम १ज्ञान १ मंग१ज्ञान कुमनि, कुथुत २२ का भंग कॉ०नं०१७ के २ का भंग २ के मंगों में से १ले रे गुण २ का भंग के अंगों में से ! कोई १ ज्ञान । का मंग पर्याश्वत् __ कोई १ जान जानना ' जानना १३ संयम ले गुग में १२ रे सुगार में १सयम असंयम १४ दर्शन ले गुण में १ । ते रे मुरण में १ चा दर्शन १प्रचक्षु दर्शन १५ सेक्या १ भंग १ भंग लेश्या मशुभ लेश्या ले गुरण में ३ के भंग में से' ने रे गुना में का अंग |३के अंगों में से ३ का भंग कॉ० नं.? के कोई १ लेश्या . ३ का भंग कोक नं. १७ ।। [को तेश्या ममान जानना নান আনন।। २ ' का मंग
SR No.090115
Book TitleChautis Sthan Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAadisagarmuni
PublisherUlfatrayji Jain Haryana
Publication Year1968
Total Pages874
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & Karm
File Size16 MB
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