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________________ चौनांग न दर्शन कोप्टक नं०१६ देव गति मनि देवर्गात . वन में देवगनि जानना देवगन । देवननि दवणात देवगान १ले गगा म लेने मना में मरने बाला जीव भवनविर में जन्म ले सकता है जरे ४य गुग में मरने वाला जीव १ मे. १६वे स्वर्ग मोर - वैयव में जन्म ले सकता है ४ये गुण स्थान में मरने वाला जीव नब मनुदिन । | और पंचानूनर विमान में जन्म ले सकता है। पंचन्द्रिय जाति पंचेन्द्रिय जानि पंचन्द्रिय जाति ने रे ये गुग में पंचेन्द्रिय जाति जानना ७ इन्द्रिय जाति १ परेन्द्रिय जानि १रो ४ गुण में पंचेन्द्रिय जाति १ पचेन्द्रिय जाति जानना काय वसकाय. १ से ४ गुग में उसकाय १ असकाय जानना ६ योग और मित्रकाग्रयोग १ दं. मिथकाय योग १. औदारिकाययोग १ कारिग काययोग १ प्रा. मिश्रकाययोग. ये २ चटाकर (६) माहारक कारयोग १ १ मे ४ गुण में का भंग जानना ये ४ घटाकर (११) १का भंग वचन बोग ४,: मनोयग ४, 4. कापयोग १ का भंन जानना । १ योग वसकाय । १ले २रे ये गुण मे यसकाय उसकाय १वसकाय जानना : . १ योग कार्माग काययोग १, 4. मिश्यकाय योग । ये योग २ जानना के भग में में १-२ के भंग : कोई १ योग ले रे ४थे गुण में - के मंगों में से १-२ के अंगों में जानना का भंग कारण कोई १ मग जानना से कोई १ बोम काययोग विग्रह गति में । ললনা जानना .. २ का भंम कार्मागण
SR No.090115
Book TitleChautis Sthan Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAadisagarmuni
PublisherUlfatrayji Jain Haryana
Publication Year1968
Total Pages874
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & Karm
File Size16 MB
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