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________________ (6) मूचना-हिस्य के : भंग निम्न प्रकार जाना । ला भंग-पृथ्वी व १ का भग जानना । रा भंग-वो-जल या भंग जानना। रा भंग-वा-जल-अग्नि ये : का भग जानना । ४था भग-गृथ्वी-जल-अग्नि-पायुयं ४ का भंग जानना । ५वा भंग-पृथ्वी-जल-अग्नि-वायु-वनस्पति ये ५ का भंग बानना । या भग-गृथ्वी-जल-पग्नि-वायु-वनस्पति-पस मे ६ का भंग जानना । इसके शिवाय और भी पृथ्वी-अनि य २ का भंग, पृथ्वी-प्राय दे २ का भंग, पृथ्वी-वनस्पति ये २ का भंग और पृथ्वी-बस ये २ का मंग, इस प्रकार अनक भंग बन सकते हैं। (३) सुचना-प्रविरत के ६ भंगों की विवरण निम्न प्रकार जाननाना दी का भंग-हिमक का कोई १ विषय घोर हिस्य के कोई १ जोब ये का भंग जानना । रा तीन का भंग-हिंसक का कोई १ विषय और हिस्य के कोई जीव ये ३ का भंग जानना। ३रा चार का भंग-हिंसक का कोई विषय और हिंस्य के कोई ३ जीव ये ४ का भंग जानना । vथा पांच का भंग- हिमक का कोई १ विषय और हिस्य के कोई ४ जीव ५ का भंग जानना। ५वा छः का भंग-हिसक का कोई १ विषय और हिस्य के कोई ५ जीव ये ६ का भंग जानना। बा मान का भंग-हिमक का कोई १ विषय और हिस्य के कोई ६ जीव ये ७ का मंग जानना ।
SR No.090115
Book TitleChautis Sthan Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAadisagarmuni
PublisherUlfatrayji Jain Haryana
Publication Year1968
Total Pages874
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & Karm
File Size16 MB
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