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________________ कोष्टक नंबर १ तिर्यच गति चोतीम स्थान दर्शन । २ । ३ : ५वे गगा में ५वे गुण में | १७ के अंगों में ४थे मृण में । गुग में । १. के अंगों का भग उपर के ३० के १७का भंग में काई ':५का मंग पयांना को भंग कोई : मंग गग में में प्राम नश्या:, कोर नं.१% के भा जानना | २६ के मंग में मे उपपाम को० नं०१८के | जानना अनयम? ये 6 घटाकर चौर ममान जानना मम्यवन्य १. स्त्री वेद १. समान जानना ययम। मया ? जोड़कर २६ शुभ लेण्या ३ ये ५ पटा का भंग जानना कर शेष ०४ में कागीन | (१) भोग भूमि में- । दश्या जोरकः २४ का गुग में ने गगा में १७के भंगों में गजानता । २७ का भंग ऊपर के कर्म भूमि १३ का भंग गव ।। । के १ के भग में मे नगक वा नं.१% के | भंग जानना | मूचन-जिन जीवों के वेद १. गृभ ले गया .. ४ समान जानना । | मम्मच उरक होने से घटाकर 5 स जानना . पहन निर्यचा बंध चुदी । गगा. म । २रे गुण में १६ मंगो में मे होहोर सभ्यरष्ट २५ का भंग पर कर्म भूमिका भंग भंग श्रीव मका भोग भूमिया के के मग में में नप यत्र को नं०१८ के जानना निवंच बनना है । उसकी दद १, रशुभ लेख्या : य? . गमान जानना अपेक्षा यह भंग जानना । टाकर २५ का भंग जानना । होन में रे गगण में १८ के भंगा में में + का नंग 30 के कर्मभूमि का भंग कोई भग के भंग में म नपान की न०१८ के जानन। बद. अभया : 6 ममान जानना वाकरकामा जानना गगग स्थान में बागामें के भगीर में -१ का भग नपा के म मि -का भंग | काई ग भंग में ना नफवेदक को 0% के जानना म बना ? कार गमान जानना । प में न्य ग। उकरका नर जान्ना
SR No.090115
Book TitleChautis Sthan Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAadisagarmuni
PublisherUlfatrayji Jain Haryana
Publication Year1968
Total Pages874
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & Karm
File Size16 MB
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